
Resignation of Jagdeep Dhankhar: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र के पहले दिन, सोमवार को अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे ने न केवल राजनीतिक हलकों को चौंका दिया, बल्कि उससे पहले राष्ट्रपति भवन में घटी एक घटना ने सभी को चौंका दिया।
अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंचे धनखड़, अधिकारियों में मचा हड़कंप
सोमवार रात 9 बजे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बिना किसी पूर्व सूचना के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंच गए। आमतौर पर राष्ट्रपति भवन में सभी मुलाकातें पूर्व नियोजित होती हैं और कड़े प्रोटोकॉल के तहत होती हैं, ऐसे में धनखड़ की अचानक उपस्थिति से वहां मौजूद अधिकारियों में अफरा-तफरी मच गई।
प्रोटोकॉल तोड़कर हुई मुलाकात
धनखड़ के आने की सूचना मिलते ही राष्ट्रपति के एडीसी और सैन्य सचिव को तत्काल सूचित किया गया। राष्ट्रपति मुर्मू के साथ आनन-फानन में बैठक आयोजित की गई, जिसमें जगदीप धनखड़ ने उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह पूरा घटनाक्रम बेहद गोपनीय और अचानक था।
स्वास्थ्य कारणों का हवाला, इस्तीफा तत्काल प्रभाव से
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने की बात कही। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। इसके बाद रात 9:25 बजे जगदीप धनखड़ ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जनता को इस बारे में जानकारी दी।
इस्तीफे की टाइमिंग पर उठे सवाल
धनखड़ का इस्तीफा उस वक्त आया जब संसद का मानसून सत्र शुरू ही हुआ था। विपक्षी दलों ने सवाल उठाए कि अगर इस्तीफा देना ही था तो सत्र शुरू होने से पहले क्यों नहीं दिया गया? इस फैसले की टाइमिंग को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
पिछले कुछ महीनों से चल रहे थे बीमार
बताया जा रहा है कि धनखड़ पिछले कुछ महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे। मार्च से जुलाई तक उनकी तबीयत बिगड़ने और अस्पताल में भर्ती होने की खबरें कई बार आईं। हालांकि, इस स्तर पर इस्तीफा देना और उसका अंदाज, दोनों ही असामान्य माने जा रहे हैं।
जयपुर दौरे से पहले इस्तीफा, और बढ़ा रहस्य
सोमवार शाम 4 बजे उपराष्ट्रपति सचिवालय की ओर से यह जानकारी दी गई थी कि जगदीप धनखड़ इसी सप्ताह जयपुर यात्रा पर जाने वाले हैं। ऐसे में, पहले से तय कार्यक्रम के बीच में इस्तीफा देने का फैसला और अधिक रहस्य पैदा कर गया है।
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आगे क्या होगा?
अब उपराष्ट्रपति पद खाली हो गया है और सरकार जल्द ही नए नाम पर विचार कर सकती है। विपक्ष इस घटनाक्रम को लेकर सरकार से स्पष्टता की मांग कर सकता है।