
Rambhadracharya Argument: जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के उस कदम की कड़ी आलोचना की है, जिसमें सरकार वृंदावन के प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर सरकार मस्जिदों और चर्चों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है, तो उसे मंदिरों के मामले में भी ऐसा करने से बचना चाहिए।
रामभद्राचार्य का तर्क: “मंदिरों के साथ दोहरा रवैया क्यों?”
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस फैसले को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मंदिरों को सरकार के अधीन करने की यह कोशिश स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, “सरकार का काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना है, धार्मिक स्थलों को नियंत्रित करना नहीं। अगर सरकार मस्जिदों या चर्चों को अपने नियंत्रण में नहीं लेती है, तो मंदिरों के साथ यह दोहरा रवैया क्यों अपनाया जा रहा है?”
सरकार के फैसले पर सवाल
उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर मंदिर के प्रबंधन में सुधार और भक्तों की सुविधा के लिए ठाकुर बांके बिहारी मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने का विचार किया है। इस कदम का विरोध करते हुए रामभद्राचार्य ने कहा कि मंदिर का प्रबंधन भक्तों और महंतों के हाथों में ही रहना चाहिए। उनका कहना है कि सरकारी नियंत्रण से धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं को ठेस पहुँच सकती है।
राजनीतिक और धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया
रामभद्राचार्य के इस बयान के बाद, कई धार्मिक और राजनीतिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय देना शुरू कर दिया है। कुछ लोगों ने जगद्गुरु के विचारों का समर्थन किया है, जबकि कुछ का मानना है कि मंदिर के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए सरकारी हस्तक्षेप जरूरी है। इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच भी बहस छिड़ गई है।
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आगे की राह
फिलहाल, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन जगद्गुरु रामभद्राचार्य का यह बयान एक बड़े विवाद को जन्म दे सकता है। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस मुद्दे पर अपने रुख में बदलाव करेगी या अपने फैसले पर अडिग रहेगी। धार्मिक और सामाजिक संगठनों की नजरें भी सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।