
संजय द्विवेदी की रिपोर्ट
Sonbhadra News : पूर्वी उत्तर प्रदेश का अंडरवर्ल्ड एक बार फिर उफान पर है। पुरानी आपराधिक गैंगों की वापसी और नए माफिया नेटवर्क की आक्रामक दावेदारी ने वर्चस्व की जंग को बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुँचा दिया है। सबसे ज्यादा चर्चा में है नशीले सिरप के अवैध कारोबार से जुड़े ‘कोडीन भैया’ गैंग और तेजी से फैलते खनन माफिया समूहों के बीच जारी संघर्ष।
प्राकृतिक नदी-नालों पर खनन माफिया का कब्ज़ा
सोनभद्र, चंदौली और मिर्जापुर के नदी-नालों में इन दिनों अवैध बालू खनन चरम पर है। रात के अंधेरे में पोकलेन मशीनों और भारी ट्रैक्टर–ट्रॉलियों से बालू निकाला जा रहा है, जिससे नदी की धारा और पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि माफिया नालों पर पगडंडियाँ और रास्ते बनाकर दिन-रात खनन कर रहे हैं, वहीं कई जगह अवैध स्टॉक यार्ड भी तैयार कर लिए गए हैं। स्थानीय लोग विरोध करने से कतराते हैं क्योंकि माफिया द्वारा लगातार धमकियाँ मिल रही हैं। कई गांवों में दहशत का माहौल है।
अवैध कारोबार पर प्रशासन की बढ़ी सख्ती
पिछले कुछ हफ्तों में पुलिस और खनन विभाग ने संयुक्त अभियान चलाकर कई अवैध रूटों पर निगरानी बढ़ाई है। हाईवे से लेकर पगडंडीनुमा मार्गों तक पुलिस की रात-दिन की गश्त जारी है। ओवरलोड और बिना चालान वाले ट्रकों पर भारी जुर्माना लगाया गया है। इससे माफिया नेटवर्क पर दबाव बढ़ा है, लेकिन इससे गैंगों के बीच टकराव भी तेज हुआ है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, कई संदिग्ध ठिकानों को सर्विलांस पर रखा गया है, जहाँ से अवैध खनन ट्रकों की मूवमेंट, नकली चालान की तैयारी और नशीले सिरप की कार्रवाई नियंत्रित होती है। जल्द ही यहाँ बड़ी कार्रवाइयाँ संभव हैं।
‘कोडीन भैया’ की वापसी और नया संकट
नकली सिरप और नशीले पदार्थों के अवैध धंधे से करोड़ों कमाने वाला ‘कोडीन भैया’ लंबे समय तक पुलिस की कार्रवाई के बाद शांत दिख रहा था, लेकिन हाल के महीनों में उसके नेटवर्क की गतिविधियाँ फिर बढ़ गई हैं। बताया जा रहा है कि यह गिरोह अब खनन और ट्रांसपोर्ट के अवैध कारोबार में हिस्सेदारी चाहता है और यहीं से संघर्ष की शुरुआत हुई।
खनन रूटों पर कब्ज़े की जंग
सोनभद्र–चंदौली–मिर्जापुर बेल्ट में अवैध बालू, गिट्टी और स्टोन क्रशर का कारोबार हर महीने करोड़ों रुपये का है। पहले यह धंधा कुछ चुनिंदा माफियाओं के हाथ में था, लेकिन अब नए गैंग जबरन हिस्सेदारी मांग रहे हैं। रात में सुरक्षित माने जाने वाले ‘ब्लाइंड स्पॉट’ रूटों पर कब्जे को लेकर फायरिंग और रोककर धमकाने की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
राजनीतिक–ठेकेदार गठजोड़ ने बढ़ाई गर्मी
खनन लाइसेंस, उप-ठेकों और स्थानीय नेतृत्व से जुड़ाव किसी भी गैंग की ताकत तय करता है। नए माफिया समूहों ने इसी स्तर पर पैठ बनानी शुरू कर दी है, जिससे पुराने नेटवर्क में असहजता और तनाव बढ़ गया है।
पुलिस का दावा – “कानून से ऊपर कोई नहीं”
SOG, सर्विलांस सेल और खनन विभाग की टीमों ने कई गैंग सदस्यों पर गैंगस्टर एक्ट और NSA के तहत कार्रवाई की है। कई संपत्तियों की कुर्की की भी तैयारी है। इंटर-डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेशन बढ़ाने से अवैध ट्रकों की मूवमेंट पर काफी हद तक अंकुश लगा है।
हालांकि, पुलिस की सख्ती के बावजूद जमीनी हकीकत बताती है कि गैंगों के बीच वर्चस्व की लड़ाई अभी थमी नहीं है। बड़े सरगनाओं पर कार्रवाई ही स्थिति का असली मोड़ साबित होगी।
ग्रामीणों में दहशत, सिस्टम पर दबाव
टकराव बढ़ने से ग्रामीण इलाकों, खनन क्षेत्रों और ट्रांसपोर्टरों में भय का माहौल है। कई व्यापारी मानते हैं कि अब कुछ रूटों पर खनन वाहनों के साथ हथियारबंद गाड़ियाँ भी दिखने लगी हैं।
पूर्वांचल में यह संघर्ष सिर्फ दो गैंगों की लड़ाई नहीं, बल्कि अवैध धन और वर्चस्व के नए भूगोल को तय करने वाली जंग बन चुका है। पुलिस की आगामी कार्रवाई से ही तय होगा कि क्षेत्र में किसका दबदबा रहेगा।
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