
Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के पशु चिकित्सक डॉ. हरपाल सिंह को सशर्त जमानत प्रदान कर रिहाई का आदेश दिया है। डॉ. सिंह को गोशाला के रखरखाव और स्टॉक रजिस्टर में अनियमितता के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।
इस मामले में न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि “जब तक किसी अभियुक्त को दोषी करार न दिया जाए, वह निर्दोष माना जाता है। ज़मानत नियम है और जेल अपवाद।” कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार मूल अधिकार है, और बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के उसे छीना नहीं जा सकता।
कोर्ट की टिप्पणियां और आदेश
न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के सत्येन्द्र कुमार अंतिल बनाम भारत सरकार के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि “विशेष परिस्थितियों में ही ज़मानत रोकी जानी चाहिए।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत का उद्देश्य केवल अभियुक्त की ट्रायल में उपस्थिति सुनिश्चित करना है, न कि उसे दंड के रूप में जेल में रखना।
जमानत की शर्तों पर आधारित न्यायिक आधार:
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अभियुक्त के न्याय से भागने की कोई आशंका नहीं
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अपराध दोहराने की संभावना नहीं
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गवाहों पर दबाव डालने या विवेचना में हस्तक्षेप की संभावना नहीं
इन आधारों पर न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त को जमानत से वंचित नहीं रखा जा सकता।
याची पक्ष की दलील
याची अधिवक्ता का कहना था कि डॉ. हरपाल सिंह एक सरकारी पशु चिकित्सक हैं और उन्हें केवल गोशाला का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। आरोप है कि गोशाला स्टाफ के पास स्टॉक रजिस्टर रहता है और वहीं इस कार्य के लिए जिम्मेदार है। गोशाला में 1100 पशुओं की क्षमता के बजाय 2500 पशु रखे गए थे, जिससे परिस्थितियाँ पहले से ही असामान्य थीं।
अधिवक्ता ने बताया कि 22 जुलाई 2025 से डॉ. सिंह जेल में बंद हैं, जबकि उनके खिलाफ लगे आरोपों का सीधा संबंध या कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा नगर निगम को गायों के लिए अतिरिक्त टीन शेड की मांग भी की गई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई।
निष्कर्ष
कोर्ट ने अभियुक्त की स्थिति, अपराध की प्रकृति, संभावित दंड और गोशाला के अतिरिक्त प्रभार जैसे तथ्यों को ध्यान में रखते हुए डॉ. हरपाल सिंह को जमानत पाने का हकदार माना और सशर्त रिहाई का आदेश पारित किया।
रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज
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