
Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाहगंज (जौनपुर) में हत्या, जानलेवा हमला और आगजनी से जुड़े मामले में पूर्व सांसद उमाकांत यादव को निचली अदालत से मिली सजा व दंड पर रोक लगा दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ एवं न्यायमूर्ति संतोष राय की खंडपीठ ने उमाकांत यादव की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए दिया। याची ने अपनी अर्जी में सुप्रीम कोर्ट के नवजोत सिंह सिद्धू केस का हवाला देते हुए कहा कि जैसे वहां चुनावी परिस्थिति को देखते हुए सजा और दंड निलंबित किया गया, उसी प्रकार उसे भी राहत दी जाए।
याची पक्ष ने दलील दी कि उमाकांत यादव एक राजनीतिक व्यक्ति हैं, जो एक बार सांसद और तीन बार विधायक रह चुके हैं। वहीं, सरकारी वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उन पर गंभीर आरोप हैं और वह किसी भी प्रकार की राहत पाने के पात्र नहीं हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उमाकांत यादव की सजा और दंड को निलंबित रखने का आदेश पारित किया।
(Court No. 47, Criminal Appeal No. 7280 of 2022, Umakant Yadav vs. State of U.P.) का सार- आदेश का PDF file- /CRLA(A)_7280_2022(2)
आदेश का मुख्य बिंदु :
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अपीलकर्ता उमाकांत यादव की जमानत याचिका स्वीकार
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उमाकांत यादव (पूर्व सांसद) को सत्र परीक्षण संख्या 304/1995, थाना शाहगंज, जिला जौनपुर में दोषसिद्धि और सजा मिलने के बाद हाईकोर्ट ने उनकी सजा स्थगित करते हुए उन्हें अपील लंबित रहने तक जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
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जमानत का आधार
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उमाकांत यादव की उम्र लगभग 72 वर्ष है।
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वे अब तक लगभग 6 वर्ष 9 माह 25 दिन (करीब 7 साल) जेल में बिता चुके हैं।
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उनके खिलाफ 34 आपराधिक मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से 25 में वे बरी हो चुके हैं।
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अपील (सन् 2022 की) जल्दी सुनवाई होने की संभावना नहीं है क्योंकि प्रतिदिन सैकड़ों अपीलें सूचीबद्ध होती हैं।
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सुप्रीम कोर्ट के Anil Ari बनाम State of West Bengal (2009) और Madan Singh बनाम State of M.P. (2018) मामलों का हवाला दिया गया, जिनमें उम्र और लम्बी हिरासत को देखते हुए जमानत दी गई थी।
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जमानत की शर्तें
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1 लाख रुपये का व्यक्तिगत बांड और दो जमानतदार प्रस्तुत करने होंगे।
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जेल से रिहाई से पहले जुर्माना जमा करना होगा।
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अपनी अचल संपत्ति को बेचने/स्थानांतरित करने पर रोक (बिना कोर्ट की अनुमति)।
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हर दूसरे महीने के पहले सप्ताह में थाना शाहगंज, जौनपुर में उपस्थित होकर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
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अपील की स्थिति
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अपील स्वीकार (Admit) की गई।
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निचली अदालत का अभिलेख (Record) तलब किया गया।
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ऑफिस को छह हफ्ते में पेपर बुक तैयार करने का निर्देश।
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अपील सुनवाई के लिए नियत तिथि पर सूचीबद्ध होगी।
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निष्कर्ष: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उमाकांत यादव की उम्र, लंबी हिरासत और अपील की शीघ्र सुनवाई न होने की संभावना को देखते हुए सजा पर रोक लगाकर उन्हें जमानत दे दी है, साथ ही कुछ कठोर शर्तें भी लगाई हैं।
(High Court of Judicature at Allahabad, Criminal Appeal No. 7280 of 2022, Umakant Yadav vs. State of U.P.) का सार/“ आदेश का -PDF link-CRLA(A)_7280_2022(1)
आदेश का मुख्य बिंदु :
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संशोधन आवेदन (Modification Application No. 6/2025) पर निर्णय
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अपील लंबित रहने के दौरान पूर्व सांसद उमाकांत यादव की दोषसिद्धि (conviction) और सजा (sentence) पर रोक (stay) लगा दी गई है।
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याची पक्ष की दलीलें
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उमाकांत यादव राजनीतिक व्यक्ति हैं और आगामी चुनाव लड़ना चाहते हैं।
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उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के Navjot Singh Sidhu बनाम State of Punjab (2007) और Lok Prahari बनाम Election Commission of India (2018) के फैसलों का हवाला दिया।
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कहा कि जैसे सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने की अनुमति देने के लिए अन्य राजनीतिज्ञों की सजा/दोषसिद्धि पर रोक लगाई, वैसे ही उन्हें भी वही लाभ दिया जाए।
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उमाकांत यादव 2004–2009 तक सांसद और 1991–2002 तक तीन बार विधायक रह चुके हैं।
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राज्य पक्ष (AGA) का विरोध
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अभियुक्त पर गंभीर अपराधों के आरोप हैं, इसलिए उन्हें पहले से दी गई जमानत (13.08.2025 के आदेश से) के अतिरिक्त कोई और राहत नहीं मिलनी चाहिए।
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कोर्ट का निष्कर्ष
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दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अपील लंबित रहने तक ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई दोषसिद्धि और सजा निलंबित (suspended) रहेगी।
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संशोधन आवेदन स्वीकृत (allowed) किया गया।
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निष्कर्ष: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 27 अगस्त 2025 को आदेश पारित कर उमाकांत यादव की दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगा दी, ताकि वे अपील की सुनवाई तक चुनाव लड़ने से वंचित न हों।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज