
Prayagraj News-अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) ने बाढ़ के दौरान एवं बाढ़ के पश्चात्त क्या करें, क्या ना करें* के संबंध में एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया है कि बाढ़ के दौरान पानी में ना जाये, किसी भी प्रकार की जल क्रीड़ा न करे। किसी भी जल प्रपात में न जाए, बाढ़ के दौरान नहाना एवं नदी, तालाब, घाटो के किनारे न जाये। जलप्रपात में कोई भी वाहन न चलाये। बाढ़ की चेतावनी प्राप्त होते ही खुद को और अपने पड़ोसियों को सतर्क करते हुये पूर्व से चिह्नित ऊँचे स्थानों व प्रशासन द्वारा स्थापित बाढ़ शरणालयों में निवास करें। सबसे पहले गर्भवती महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, दिव्यांगों और बीमार व्यक्तियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने पर ध्यान दें। घर छोड़ने से पहले बिजली का मुख्य स्विच और गैस रेगुलेटर को बंद कर दें, शौचालय सीट को बालू से भरी बोरी से ढक दें, अन्य कीमती सामान को ऊँची जगहों जैसे टांड़ या अटारी पर रख दें एवं इमरजेंसी स्टॉक, फर्स्ट ऐड किट और जीवन रक्षक उपकरण वाली इमरजेंसी किट ले जाना न भूलें। बाढ़ में डूबे हुये हैंडपंप का पानी, पीने के लिए प्रयोग न करें। बच्चों को बाढ़ के पानी में या उसके पास खेलने न दें। पानी उबाल कर ही पीयें तथा क्लोरीन का उपयोग करें। बासी व खुले भोजन का सेवन न करें। आशा कार्यकत्री और ए.एन.एम. से मदद लेकर गर्भवती महिलाओं के प्रसव की व्यवस्था करें। बिजली के खम्भों, तारों और ट्रांसफॉर्मर से दूर रहें। क्षमता से अधिक लोग नाव पर न बैठें। सांप, बिच्छू और घातक जीव-जन्तुओं से सतर्क रहें, यदि किसी को सांप काटता है, तो प्रभावित व्यक्ति को तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं। अफवाहों पर ध्यान न दें और न ही किसी झूठी बातों को फैलाएँ। सही जानकारी के लिए स्थानीय समाचार और स्थानीय अधिकारियों या ग्राम प्रधान से संपर्क कर सही जानकारी प्राप्त करें।
बाढ़ के बाद
बाढ़ में क्षतिग्रस्त घरों और इमारतों में प्रवेश न करें। बाढ़ में क्षतिग्रस्त विद्युत उपकरणों का उपयोग न करें। वाहन द्वारा बाढ़ में क्षतिग्रस्त पुलों और पुलियों को पार करने का प्रयास न करें। संचारी रोगों से बचाव के लिए सभी पशुओं के शवों और, बाढ़ के मलबे को एक जगह इकट्ठा कर उसे सुरक्षित तरह से निपटाएँ। मलेरिया या मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। बाढ़ में डूबे हैंडपंप के पानी का उपयोग तब तक न करें, जब तक कि इसे विसंक्रमित नहीं किया जाता। बच्चों को पूरे आस्तीन के कपड़े पहनाये।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज