
Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई में देरी करने के उद्देश्य से वकील बदलने की प्रथा को गलत करार देते हुए तीखी आलोचना की है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने यह आदेश शिव नरेश गौतम की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। अदालत ने याची के पैरोकार भाई विष्णु नरेश सहित अधिवक्ता आर.पी. यादव, राम नरेश शुक्ल, विशाल मिश्रा और राहिल सिकंदर को अगली सुनवाई की तारीख 1 सितंबर को अदालत में उपस्थित रहने का आदेश दिया है। साथ ही हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव को भी तलब किया है।
कोर्ट ने एसपी बांदा को निर्देश दिया कि पैरोकार विष्णु नरेश की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। वहीं, विपक्षी अधिवक्ता अर्विंद कुमार को आदेश दिया गया है कि वे अन्य विपक्षी वकीलों को भी अदालत के निर्देश की लिखित सूचना दें।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि पहले याचिका की तारीख 11 अगस्त तय हुई थी। उससे पहले यह कहा गया कि याची 25 अगस्त को बाहर से लौटेगा। लेकिन 11 अगस्त की तारीख पर पुराने वकीलों को हटाकर नया वकील कर लिया गया, जबकि निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
कोर्ट ने कहा कि पुराने वकीलों की जिम्मेदारी थी कि याची की अनुपस्थिति में अर्जी देकर समय मांगते। जबकि नए वकील ने बीमारी का हवाला देकर समय की मांग की। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक वकालतनामा वापस लेने की अनुमति कोर्ट से नहीं मिलती, तब तक पुराने वकीलों पर आदेशों के पालन की जिम्मेदारी बनी रहती है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि नए वकीलों से अपेक्षा की जाती है कि वे पिछले आदेशों से अवगत होंगे और पालन की मंशा से ही फाइल अपने पास ली है। अदालत ने यह टिप्पणी भी की कि विपक्षी पक्षकार अर्चना द्विवेदी को याची का परिवार वर्षों से परेशान कर रहा है, ऐसे में पूर्व आदेशों का पालन न करना वकीलों का कदाचार है।
इस पूरे प्रकरण पर सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट ने सभी वकीलों, पैरोकार तथा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव को अगली सुनवाई में उपस्थित होने का आदेश दिया है। साथ ही महानिबंधक को निर्देश दिया गया है कि आदेश की सूचना बार अध्यक्ष और महासचिव तक भेजी जाए।
अब इस मामले की सुनवाई 1 सितंबर को होगी।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज