
Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा पूर्व आदेशों का गंभीरता से पालन न करने और समन तामील कराने में विफल रहने से मुकदमों की सुनवाई में अनावश्यक देरी हो रही है, जो अत्यंत चिंताजनक है।
न्यायमूर्ति अजय भनोट ने यह टिप्पणी नाबालिग से दुष्कर्म और वीडियो बनाने के आरोपित मुनीर की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी, लेकिन साथ ही निचली अदालत को आदेश दिया कि उच्च न्यायालय का आदेश प्राप्त होने की तारीख से एक वर्ष के भीतर मुकदमे का निपटारा करने का प्रयास किया जाए।
आरोपित के खिलाफ थाना चरथावल, जिला मुजफ्फरनगर में आईपीसी की धारा 363, 366, 376, 384, पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 और आईटी एक्ट की धारा 67ए के तहत मुकदमा दर्ज है। वह 18 सितंबर 2022 से जेल में बंद है।
कोर्ट ने कहा कि ट्रायल में गवाहों की अनुपस्थिति और समन की समय पर तामील न होना ही मुकदमे की देरी का मुख्य कारण है। न्यायालय ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि गवाहों की अनुपस्थिति पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए और पुलिस समन की तामील सुनिश्चित करे।
न्यायमूर्ति ने भंवर सिंह उर्फ करमवीर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और जितेंद्र बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामलों में पारित पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि इन आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि गवाहों की अनुपस्थिति पर जुर्माना सहित सख्त कार्रवाई हो और वकील नूर आलम केस की पैरवी करें।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज