
Prayagraj News-भारत भाग्य विधाता के तत्वावधान में शहीद वॉल स्थल पर ‘एक शाम शहीदों के नाम’ कार्यक्रम आयोजित हुआ। मुख्य वक्ता डॉ. अमित पाल शर्मा ने कहा कि जिन्होंने आजादी के लिए सर्वस्व न्योछावर किया, उन्होंने जीवन का आसान मार्ग छोड़कर कठिन संघर्ष की राह चुनी और देश पर बलिदान हो गए। उन्होंने कहा कि प्रयागराज के शहीदों को शहीद वॉल पर दिया गया सम्मान प्रेरणादायक है और लोगों को यहाँ आकर प्रेरणा लेनी चाहिए।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. ललित त्रिपाठी ने कहा कि शहीदों को सम्मान दिए बिना स्वतंत्रता दिवस का उत्सव अधूरा है। शहीद वॉल के संस्थापक वीरेंद्र पाठक ने अतिथियों को तिरंगा पट पहनाकर स्वागत किया और 13 अगस्त को शहीद हुए भगवती प्रसाद, मुरारी मोहन भट्टाचार्य एवं अब्दुल मजीद के बलिदान की गाथा सुनाई। पुलिस बैंड ने बैंड वादन से शहीदों को सलामी दी।
कार्यक्रम में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसकी शुरुआत माँ सरस्वती की वंदना से हुई। वीरेंद्र पाठक ने शहीद वॉल की स्थापना के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह स्थल प्रयागराज के शहीदों को नमन करने और शहर के गौरवपूर्ण इतिहास को बताने के लिए बनाया गया है। वरिष्ठ समाजसेवी राम जी अग्रहरि ने कहा कि हर भारतीय का परम कर्तव्य है कि वह भारत माता के वीर सपूतों को सदा स्मरण और नमन करे।
कवि सम्मेलन में प्रख्यात नवगीतकारों और कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। देशभक्ति से ओतप्रोत गीत, ग़ज़लें और कविताएं सुनकर उपस्थित जनों में उत्साह और गर्व का संचार हुआ।
उन्होंने पढ़ा:-
छांव हमीं हैं, धूप हमीं हैं
भारत मां का रूप हमीं हैं
तरह तरह के दिखते चेहरे
सबके हाथ तिरंगा लहरे
पतझर में भी खुलकर खिलते
हम खेतों की छवि धानी हैं
हम सब संगम का पानी है।
कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे प्रख्यात गीतकार शैलेंद्र मधुर ने अपने गीतों से स्रोतों को मंत्र मुग्ध कर डाला।
उन्होंने पढ़ा:_
सिंदुरी अक्षर अक्षर है,
शब्द शब्द अंगारे हैं ,
दुश्मन की छाती दहला दे ,
ऐसे गीत हमारे है।
प्रख्यात गजलकार राजीव नसीब ने अपनी गजलों से श्रोताओं का दिल जीत लिया।
क्या कहूँ कितना मुझे प्यारा वतन,
मैं बदन हूँ और है साया वतन।
मेरी साँसों में रहे खुश्बू तेरी,
मैंने माथे पर तुझे लिक्खा वतन
इसके बाद नजर पांडे ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को आह्लादित किया।
वतन की आन लिखता हूं,वतन की शान लिखता हूं।
वीरों की शहादत का सदा गुणगान लिखता हूं।
युवा कवियत्री आकांक्षा बुंदेला ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं में जोश भर डाला।
राष्ट्रभक्ति की भभकती आग फिर से चाहिए
मां भारती के लिए अनुराग फिर से चाहिए
जिसकी लौ अखंड जिसकी ज्योति दिव्यमान है
सुभाष चंद्र बोस सा चिराग फिर से चाहिए ।
युवा गीतकार जितेंद्र मिश्रा जलज ने अपनी कविताओं से भाव विभोर कर डाला।
अमर तिरंगा .अमर तिरंगा .अमर तिरंगा अमर रहे।
यह भारत का स्वाभिमान है जनमानस को खबर रहे।
युवा कवियत्री साक्षी सिंह ने अपनी रचना प्रस्तुत की।
खत को था कहना मां से ताबूत में है बेटा,
खत कह रहा था मुझमें ये हौसला नहीं है।
युवा रचनाकार संतोष शुक्ला समर्थ ने अपनी रचनाओं से लोगों का मन मोह लिया।
आजादी की अविरल धारा।
सज कर खड़ा तिरंगा प्यारा।
आओ! कुछ ऐसा कर जाएँ,
दुनिया देखे जश्न हमारा।।
युवा कवि अमित जौनपुरी ने अपनी रचनाओं से आनंदित किया। दुश्मन ढेर लगाये मैंने मार मार कर गोली.।
सीना खोल दिया है अपना ,
खेली खून की होली
कवि सम्मेलन में मखदूम फूलपूरी , सहित अन्य कवियों ने भी काव्य पाठ किया।
संचालन डा प्रमोद शुक्ल ने किया।इस अवसर पर केन्दीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने एक प्रदर्शनी भी आयोजित की।
कार्यक्रम में सनी शर्मा शिवम नन्दन त्रिपाठी, आनन्द प्रकाश दीक्षित, राहुल दुबे,मनोज श्रीवास्तव विक्रम मालवीय आशुतोष शुक्ला सी एल सिंह मो लईक आरव भरद्वाज विकास मिश्र, संयुक्त पुरूषार्थी सुनील बाजपेई, राकेश शुक्ला प्रमुख थे।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज