
Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट में डूंगरपुर प्रकरण को लेकर सपा नेता आजम खां की ओर से दाखिल अपील में जमानत पर मंगलवार को सुनवाई पूरी हो गई। न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान उल्लाह ने दलील दी कि घटना के तीन साल बाद एफआईआर दर्ज की गई है और जिस जगह मकान तोड़े जाने का आरोप है, वहां शिकायतकर्ता का मकान था ही नहीं। साथ ही, कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जो यह साबित करे कि आजम खां घटना के समय मौके पर मौजूद थे।
वहीं, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि मुकदमा देरी से दर्ज होने का महत्व नहीं है। अपीलकर्ता का आपराधिक इतिहास है और जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
डूंगरपुर मामला
अगस्त 2019 में अबरार नामक व्यक्ति ने रामपुर के गंज थाने में आजम खां, सेवानिवृत्त सीओ आले हसन खां और ठेकेदार बरकत अली के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि दिसंबर 2016 में तीनों ने मारपीट, घर में तोड़फोड़ और जान से मारने की धमकी दी थी। बस्ती खाली कराने के दौरान लूटपाट, चोरी और मारपीट के कई अन्य मुकदमे भी दर्ज हुए थे।
रामपुर एमपी/एमएलए कोर्ट ने 30 मई 2024 को आजम खां को 10 साल और ठेकेदार बरकत अली को 7 साल की सजा सुनाई थी। इसी आदेश के खिलाफ आजम खां ने अपील और जमानत की अर्जी दायर की है।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज