
Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना काल में लाक -डाउन के समय के लिए एक हजार रुपए प्रतिमाह कुल चार महीने का बकाया गुजारा भत्ते का भुगतान करने की मांग में दाखिल याचिका पर मुख्य सचिव और जिलाधिकारी मथुरा से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 9 सितंबर को होगी ।
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ तथा न्यायमूर्ति पी के गिरी की खंडपीठ ने मथुरा के प्रकाश चन्द्र अग्रवाल की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याची का कहना है कि कोरोना लॉकडाउन में सरकार की 26.मार्च .2020 के शासनादेश के अनुसार फुटपाथ फेरी , ढ़केल , नाई , मोची आदि माह अप्रैल , मई , जून 1000 हजार रूपये महिने से भरण पोषण भत्ता दिया जायेगा, जिसमें शासनादेश के बिन्दु संख्या 3 में लिखा है कि किसी भी प्रकार का आवेदन नहीं लिया जायेगा जिससे अनावश्यक रूप से आम जन को लॉकडाउन से बाहर निकलना नहीं पड़े , शासनादेश के बिन्दु संख्या 6 पर लिखा है कि सहायता देने के बाद भी ऐसे व्यक्ति बच सकते हैं जिनके पास परिवार की भरण पोषण भत्ता की सुविधा नहीं है। ऐसे व्यक्तियों लाभार्थियों की सूची जिलाधिकारी अनुमोदन करेंगे। क्योंकि याची लॉकडाउन में फुटपाथ पर किताब नहीं बेचने से जीवन यापन करने से वंचित हो गया था।
तथा सरकार ने लॉक डाउन भत्ता देने का वायदा किया था।
जिलाधिकारी मथुरा ने लिखा है कि मथुरा जनपद को 205.25 लाख रुपए एलाट किया गया है जो आवंटित धनराशि शासन को समर्पित की जा चुकी है और सहायता धनराशि याची प्रकाश चन्द्र अग्रवाल के खाते में अन्तरित नहीं हो सकी है। लेकिन जिलाधिकारी मथुरा ने न्यायालय के आदेश पर शासन से धनराशि मंगवाने का कोई प्रयास नहीं किया है।
जिससे याची ने जिलाधिकारी मथुरा के निस्तारित आदेश दिनांक 02.सितंबर 2022 की चुनौती दूसरी याचिका दिनांक 21.नवंबर .2022 को दाखिल किया है। इसमें मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ और जिलाधिकारी मथुरा को पक्षकार बनाया है।और याची ने स्वयं बहस की है।
याची ने लॉकडाउन का 4 महिने का भरण पोषण भत्ता 4000 रूपये ब्याज सहित मुकदमा खर्चा सहित मांग की है।