Prayagraj News: रक्षा लेखा महानियंत्रक डॉ. मयंक शर्मा ने आज प्रयागराज में रक्षा लेखा (पेंशन) पर आधारित गैलरी ‘धरोहर’ का किया उद्घाटन

स्पर्श प्रणाली के माध्यम से पिछले एक वर्ष में रक्षा लेखा (पेंशन) कार्यालय द्वारा चार लाख से अधिक शिकायतों का किया गया समाधान: डॉ. मयंक शर्मा

Prayagraj News: रक्षा लेखा महानियंत्रक डॉ. मयंक शर्मा ने प्रयागराज स्थित द्रौपदी घाट पर रक्षा लेखा पेंशन कार्यालय की विरासत को दर्शाने वाली गैलरी ‘धरोहर’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुये डॉ. मयंक शर्मा ने कहा कि “धरोहर” गैलरी रक्षा कार्यालय के ऐतिहासिक विकास, स्वतंत्रता के उपरांत रक्षा पेंशन प्रणाली में आए बदलावों, विभिन्न पेंशन योजनाओं, ऑटोमेशन की यात्रा, पेंशनरों तक पहुँच तथा क्षमता निर्माण के प्रयासों को समर्पित है। उन्होंने कहा कि धरोहर गैलरी में 1880 के दशक के दुर्लभ दस्तावेज़, स्वतंत्रता-पूर्व फर्नीचर एवं दशकों पुराने कार्यालय उपयोगी वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। रक्षा लेखा महानियंत्रक ने कहा कि गैलरी की दीवारों पर स्वतंत्रता के बाद कार्यालय का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों एवं परमवीर चक्र विजेताओं को श्रद्धांजलि स्वरूप स्थान दिया गया है और गैलरी में कार्यालय को प्राप्त विभिन्न सरकारी पुरस्कारों का भी प्रदर्शन किया गया है।उन्होंने कहा कि यह कार्यालय देशभर के 33 लाख से अधिक रक्षा पेंशनरों की पेंशन से संबंधित प्रबंधन, वितरण, लेखा परीक्षा एवं लेखांकन का कार्य करता है तथा प्रतिवर्ष लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये की धनराशि का लेखा-जोखा करता है। डॉ. मयंक शर्मा ने कहा कि कार्यालय ने SPARSH (System for Pension Administration – Raksha) नामक एक पूर्णतः डिजिटल पेंशन प्रबंधन प्रणाली लागू की है, जिसके माध्यम से पेंशन को ऑनलाइन स्वीकृत कर वास्तविक समय में सीधे पेंशनभोगियों के बैंक खातों में जमा किया जाता है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि स्पर्श प्रणाली के माध्यम से पिछले एक वर्ष में चार लाख से अधिक शिकायतों का समाधान किया गया है। पूर्ववर्ती मैनुअल प्रणाली में बैंकों द्वारा किए गए त्रुटिपूर्ण भुगतान को सुधारा गया है और बीते छह माह में लगभग पाँच लाख मामलों का संशोधन किया गया है। वीर नारियों से संबंधित अनेक प्रकरणों को कार्यालय ने स्वतः संज्ञान लेकर समाधान किया है, जिसके परिणामस्वरूप बीते छह माह में 18 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान सुनिश्चित किया गया है। अक्टूबर 2020 में आरंभ की गई यह पहल ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान के अंतर्गत आती है और एक पारदर्शी, उत्तरदायी तथा कुशल पेंशन प्रणाली को साकार करती है। यह प्रणाली पेंशनरों को उनकी पेंशन संबंधी जानकारी सुलभ कराती है और साथ ही उन्हें अपने विवरणों के सुधार एवं शिकायतों के समाधान का अवसर भी प्रदान करती है।

डॉ. शर्मा ने कहा कि इस ऐतिहासिक विरासत को आम जनता के समक्ष लाने से न केवल इस कार्यालय के कार्यों की महत्ता उजागर होगी, बल्कि इससे पेंशनरों और कार्यालय के मध्य विश्वास एवं संवाद को भी बल मिलेगा। उन्होंने कार्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के समर्पण की सराहना करते हुए भविष्य में भी इसी ऊर्जा एवं उत्साह के साथ कार्य करने की प्रेरणा दी।

इस अवसर पर उन पेंशनरों को भी सम्मानित किया गया जिनके प्रकरणों को कार्यालय ने स्वतः संज्ञान लेकर सुधारा और उन्हें उनके लंबित लाभों के चेक प्रदान किए गए—ऐसा कार्य मैनुअल प्रणाली में संभव नहीं था। इसके अतिरिक्त, विभाग द्वारा देशभर में 200 से अधिक कार्यक्रम आयोजित कर पेंशनरों तक पहुँच बनाई गई है, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान त्वरित रूप से किया जा सके।

रक्षा लेखा महानियंत्रक डॉ. मयंक शर्मा ने कार्यालय की ऐतिहासिक विरासत पर प्रकाश डाला तथा वर्षों पुरानी फाइलों, अभिलेखों एवं अन्य ऐतिहासिक सामग्री को संरक्षित कर प्रदर्शित किए जाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल संस्था के गौरवशाली अतीत को संजोने का कार्य है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनेगी।

रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (पेंशन) कार्यालय की स्थापना 1920 के दशक की शुरुआत में लाहौर में हुई थी, जिसे देश के विभाजन के उपरांत अभिलेखों एवं कार्मिकों के साथ प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) स्थानांतरित किया गया। गंगा तट पर लगभग 60 एकड़ में फैले इस परिसर में चार परिसरों में सात कार्यालय भवन तथा चार आवासीय कॉलोनियों में 450 से अधिक आवासीय इकाइयाँ स्थित हैं।

इस अवसर पर श्री संदीप सरकार, प्रधान नियंत्रक, श्री रूपवंत सोनी, नियंत्रक तथा मेजर जनरल राजेश भट्ट, सब एरिया कमांडर भी उपस्थित रहे।

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