
Prayagraj News- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी पदों पर नियुक्ति खुली प्रतियोगिता के आधार पर पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के तहत की जाती है। किंतु मृतक आश्रित की नियुक्ति योजना इसका अपवाद है।यह एक कल्याणकारी योजना है जो कमाऊ कर्मचारी की मौत से परिवार पर अचानक आये आर्थिक संकट से राहत देती है।
कोर्ट ने कहा परिवार की आर्थिक स्थिति का आंकलन करने के लिए यह देखना जरूरी है कि परिवार का कोई सदस्य नौकरी में हैं तो क्या वह मृतक कर्मचारी पर आश्रित परिवार की मदद कर रहा है या नहीं।
याची ने कहा उसका भाई सी आई एस एफ में नौकरी कर रहा है किन्तु वह अलग रहता है, परिवार की कोई सहायता नहीं करता। इसलिए उसकी आय परिवार की आय में शामिल न की जाय।
कोर्ट ने पारिवारिक आय मानक से अधिक होने के आधार पर नियुक्ति से इंकार करने के बैंक के आदेश को रद कर दिया और आश्रितों की आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर आश्रित कोटे में नियुक्ति पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने जे पी नगर के टिंकू सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता मुजीब अहमद सिद्दीकी ने बहस की।इनका कहना था कि याची के पिता वीर सिंह सिंडीकेट बैंक जे पी नगर में लिपिक थे।38 साल की सेवा पूरी कर ली थी । सेवाकाल में मौत हो गई।याची ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी दी।बैंक ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसके परिवार की आय 55783रूपये प्रतिमाह है जो निर्धारित मानक 35हजार रूपए प्रतिमाह से काफी अधिक है।
याचिका दायर कर याची ने कहा परिवार की मासिक आय गलत बताई गई है।उसका एक भाई जो नौकरी करता है अलग रहता है कोई मदद नहीं करता।उसकी आय आश्रित परिवार की आय न मानी जाय और याची की आश्रित के रूप में नियुक्ति की जाय।
कोर्ट ने बैंक को विचार करने का निर्देश दिया है।
रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज