
Prayagraj News-इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मानवविज्ञान विभाग में प्री-पी.एच.डी. कोर्सवर्क का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे प्रो. एस.आई. रिज़वी (अधिष्ठाता, शोध एवं विकास तथा अधिष्ठाता, विज्ञान संकाय) और कार्यक्रम की अध्यक्षता की प्रो. अनामिका राय (अधिष्ठाता, कला संकाय) ने।
शोध में नैतिकता, ए.आई. और वैश्विक परिप्रेक्ष्य पर चर्चा
मुख्य अतिथि प्रो. एस.आई. रिज़वी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा:
“शोध में नैतिकता सबसे अहम आधार है।”
उन्होंने प्लैजियरिज्म, अध्ययन पद्धति, एआई के उपयोग, और ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ जैसे समकालीन विषयों पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने शोध को मानव विकास के ऐतिहासिक आयामों से जोड़ते हुए अफ्रीका में मानव विकास के प्रारंभिक चरणों से लेकर चिंतनशील मानव संस्कृति के उद्भव तक की यात्रा को मानवशास्त्रीय दृष्टि से रेखांकित किया।
“अर्जुन और एकलव्य साथ हों, द्रोणाचार्य न हों”: प्रो. अनामिका राय
इतिहास विषय की वरिष्ठ विद्वान प्रो. अनामिका राय ने शोध को ज्ञान की खोज की यात्रा बताते हुए कहा:
“ज्ञान की पराकाष्ठा वही है जहां अर्जुन और एकलव्य दोनों साथ खड़े नजर आएं और द्रोणाचार्य न हों।”
उन्होंने मानवविज्ञान और इतिहास के अंतर्संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि इतिहास प्रश्न खड़ा करता है और मानवविज्ञान उनके उत्तर देता है।
उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड, येल, कैम्ब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों में कोर्स वर्क के गहन एवं शोध केंद्रित स्वरूप की तुलना भारतीय संदर्भ से की और मूल्यांकन, साहित्य समीक्षा, शोध प्रस्ताव, क्षेत्रकार्य और इंटरडिसिप्लिनरी मेथडोलॉजी पर जोर दिया।
प्रो. राय ने भारत में विदेशी शोधकर्ताओं द्वारा तीर्थ पुरोहितों की पोथियों, जनजातीय समुदायों और धार्मिक संप्रदायों पर हुए एथनोग्राफिक अध्ययन का भी उल्लेख किया।
प्रारंभिक औपचारिकताएं और समापन
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प्रो. राहुल पटेल (विभागाध्यक्ष) ने स्वागत भाषण में विभागीय विज़न प्रस्तुत किया।
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डॉ. शैलेन्द्र मिश्र और डॉ. खिरोद चंद्र मोहराना ने पुष्पगुच्छ भेंट कर अतिथियों का अभिनंदन किया।
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डॉ. खिरोद चंद्र मोहराना ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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संचालन डॉ. संजय कुमार द्विवेदी (पोस्ट डॉक्टोरल फेलो) ने किया।
कार्यक्रम में विभाग के सभी शिक्षक, शोधार्थी एवं अतिथिगण उपस्थित रहे।
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रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज