Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कराने में हुई 13 दिन की देरी के बावजूद आरोपी की दोषसिद्धि बरकरार रखी

Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कराने में हुई 13 दिन की देरी को यह कहते हुए नजरअंदाज कर दिया कि कभी-कभी सामाजिक और आर्थिक स्थिति गरीब व वंचित नागरिकों के भाग्य को नियंत्रित करती हैं। कोर्ट ने एफआईआर में देरी के बावजूद आरोपी की दोषसिद्धि बरकरार रखी, लेकिन उसकी 70 वर्ष की आयु को देखते हुए दुष्कर्म के आरोप में 10 साल की कठोर कारावास की सजा को घटाकर 7 साल के साधारण कारावास में बदल दिया।और 10हजार का जुर्माना लगाया।
कोर्ट ने एस सी एस टी एक्ट के अपराध से बरी कर दिया किन्तु अन्य अपराध में दंड व दो हजार रुपए के जुर्माने की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को अदालत में समर्पण कर शेष सजा भुगतने का निर्देश दिया है।
यह फैसला न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति संदीप जैन की खंडपीठ ने भगवानदीन की सजा के खिलाफ अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।

कानपुर देहात निवासी अपीलकर्ता पर 9 नवंबर 1996 को दुष्कर्म और एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज हुआ था। आरोप लगाया कि वह मजदूरी पर गया था। उसकी गैरमौजूदगी में अपीलकर्ता ने उसकी पत्नी के साथ घर में घुसकर दुष्कर्म किया। विशेष न्यायाधीश ने 4 मार्च 2011 को आरोपी को दोषी करार देते हुए 10 साल के सश्रम कारावास वअन्य सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
अपीलकर्ता के वकील ने एफआईआर में देरी को अनुचित बताया, जबकि अभियोजन पक्ष ने स्पष्ट किया कि पीड़िता और उसके पति ने घटना के तुरंत बाद पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई। उन्हें लगातार धमकियां भी मिल रही थीं। आखिरकार, 8 नवंबर 1996 को सीओ घाटमपुर को लिखित रिपोर्ट सौंपने के बाद 9 नवंबर को एफआईआर दर्ज हुई। हाईकोर्ट ने कहा अपराध साबित करने के पर्याप्त सबूत हैं। किंतु आयु को देखते हुए सजा घटा दी है।

Prayagraj News-Read Also-Prayagraj News-शराब की दुकान हटाने की मांग में दाखिल जनहित याचिका खारिज

रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज

Show More

Related Articles

Back to top button