Prayagraj News-हाईकोर्ट का यूपी के अधिकारियों को लेकर गंभीर टिप्पणी

Prayagraj News-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बागपत जिले के कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार को हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। इनपर कोर्ट के अंतरिम स्थगन आदेश का उल्लंघन करते हुए एक महिला के घर को कथित रूप से ध्वस्त करने का आरोप है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य में अधिकारी विशेष रूप से सिविल व पुलिस अधिकारी न्यायिक निर्देशों का उल्लंघन करने से “उपलब्धि की भावना ” प्राप्त करने जैसा अनुभव कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर की एकलपीठ ने कहा कि, ” ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य के कार्यपालक अधिकारियों, विशेषकर पुलिस और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों के बीच न्यायिक आदेशों का उल्लंघन करने में एक प्रकार का गौरव महसूस करने की संस्कृति विकसित हो गई है । ऐसा लगता है कि इससे उन्हें अपराध बोध होने के बजाय उपलब्धि का अहसास होता है ।”

अदालत ने बागपत के तीनों अधिकारियों एसडीएम सदर, तहसीलदार सदर, राजस्व निरीक्षक को 7 जुलाई, 2025 तक अपने व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में यह स्पष्ट किया जाए कि अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए ध्वस्त की गई इमारत को ” सरकारी लागत पर उनके द्वारा पुनर्निर्माण और उसके मूल स्वरूप में बहाल करने का आदेश क्यों नहीं दिया जाय”।

मामले के अनुसार याचिकाकर्ता, श्रीमती छमा ने 15 मई, 2025 को हाईकोर्ट से अंतरिम निषेधाज्ञा प्राप्त की थी, जिसमें उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत उनके खिलाफ शुरू की गई बेदखली और ध्वस्तीकरण की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी।

न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता के निर्माण को ध्वस्त नहीं किया जाएगा और 5 जुलाई, 2024 को पारित ध्वस्तीकरण आदेश के अनुसरण में किसी भी वसूली पर भी रोक लगा दी गई थी। आरोप लगाया गया है कि 16 मई, 2025 को, कथित तौर पर एसडीएम और तहसीलदार के नेतृत्व में और पुलिस की सहायता से राजस्व अधिकारियों की एक टीम ने एक दिन पहले पारित न्यायालय के आदेश की एक भौतिक प्रति दिखाए जाने के बावजूद उसके घर को ध्वस्त कर दिया।

इसके बाद याची ने संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया, ताकि विपक्षी अधिकारियों को ‘ दंडित ‘ किया जा सके। अवनीश त्रिपाठी , सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, तहसील-सदर, जिला बागपत, अभिषेक कुमार , तहसीलदार, तहसील-सदर, जिला बागपत, दीपक शर्मा , राजस्व निरीक्षक, तहसील-सदर, जिला बागपत और मोहित तोमर , बागपत में तैनात लेखपाल, को हाईकोर्ट के आदेश की ‘जानबूझकर अवज्ञा’ करने के लिए उन्हें दंडित करने की मांग की गई है।

इस आवेदन में उन तस्वीरों को भी दाखिल किया गया है
जिनके बारे में न्यायालय ने कहा कि इनसे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि अधिकारी “ जब ध्वस्तीकरण चल रहा था, तब हाईकोर्ट का आदेश पढ़ रहे थे और फिर भी उन्होंने ऐसा काम किया। इस संबंध में, न्यायालय ने यह भी कहा कि भले ही आदेश अपलोड करने में देरी हुई हो आदेश स्थायी अधिवक्ता की उपस्थिति में पारित किया गया और यदि याची यह दावा करता है कि स्थगन आदेश पारित किया गया है तो ” यह प्राधिकारियों का कर्तव्य है कि वे गिराने जैसे कठोर कार्य से तब तक पीछे रहे , जब तक कि इस न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश पारित किए जाने के तथ्य की पुष्टि नहीं हो जाती “।

न्यायालय ने कहा कि यह एक ऐसा मामला हो सकता है जहां प्रतिपूर्ति का आदेश दिया जाना चाहिए, जिसके लिए राज्य को पुनर्निर्माण करने की आवश्यकता होगी। इस प्रकार, संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने उनसे जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई 7 जुलाई को दोपहर 2 बजे तय की है।

Prayagraj News-Read Also-Prayagraj News-प्रयागराज हाईकोर्ट की यूपी के अधिकारियों को कड़ी फटकार

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