
Prayagraj News-हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव को लेकर मंगलवार को चुनाव कमेटी और निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी की गई अनअंतिम मतदाता सूची को लेकर अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश व्याप्त है। हजारों की संख्या में अधिवक्ताओं के नाम नहीं होने से नाराज अधिवक्ताओं ने बुधवार को बार कार्यालय में जमकर हंगामा काटा। आक्रोशित अधिवक्ताओं ने बार कार्यालय पहुंचकर कर्मचारियों को बाहर करके कार्यालय में ताला जड़ दिया। साथ ही अधिवक्ताओं ने मुख्य चुनाव अधिकारी राधाकांत ओझा, चुनाव अधिकारी अनिल भूषण, वशिष्ठ तिवारी और महेंद्र बहादुर सिंह के खिलाफ जमकर नारे लगाए। साथ ही मुख्य चुनाव अधिकारी आर के ओझा के इस्तीफे की भी मांग अधिवक्ताओं ने की है। नाराज अधिवक्ताओं का कहना था कि बगैर सोचे समझे अधिवक्ताओं के नाम मतदाता सूची से गायब कर दिए गए। जो अधिवक्ता पिछले साल मतदाता रहे, ऐसे अधिवक्ता जिनका डिक्लेरेशन और मासिक सदस्यता शुल्क जमा है, उन अधिवक्ताओं के नाम भी मतदाता सूची से बाहर कर दिए गए हैं।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व प्रशासनिक सचिव अभिषेक तिवारी ने आज हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी की गई मतदाता सूची का जबरदस्त विरोध किया। उनका कहना है यह सूची आम अधिवक्ता के अधिकारों का हनन करती है और आम अधिवक्ताओं को अपने मत का प्रयोग करने से वंचित करने वाली है। यह मतदाता सूची किसी भी हालत में मान्य नहीं होगी। जो भी अधिवक्ता सूची से वंचित हैं उन अधिवक्ताओं को सूची में शामिल कराया जाएगा।
पिछले वर्ष जितने अधिवक्ता साथी मतदाता सूची में पंजीकृत थे उतने ही साथी इस बार भी पंजीकृत होंगे। श्री तिवारी ने कहा कि इसके अतिरिक्त इस वर्ष जिन अधिवक्ता साथियों की योग्यता मतदान करने की प्राप्त हो चुकी है उन सभी अधिवक्ताओं को भी इस सूची में अगर शामिल नहीं किया गया तो हम इस चुनाव और चुनाव अधिकारियों का विरोध करेंगे। भविष्य में कभी भी उक्त सदस्यों को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का सदस्य नहीं रहने दिया जाएगा। न ही कभी यह चुनाव समिति में कोई पद प्राप्त कर सकेंगे। अधिवक्ताओं को कहना था कि जो अधिवक्ता पिछले चुनाव में मतदाता थे, 15 मुकदमे थे और ड्यूज भी अदा कर रखा है, उनके नाम भी मतदाता सूची से गायब हैं।
यह मुख्य चुनाव अधिकारी आर के ओझा का मनमाना निर्णय है जिसे अधिवक्ता समाज कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। अधिवक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि जो ऑब्जेक्शन फार्म निकाला गया है उसमें भी 15 मुकदमे की बाध्यता रखी गई है जो कि गलत है। उनका कहना है कि पुराने अधिवक्ताओं को मतदाता सूची में शामिल किया जाए जो पिछले चुनाव में मतदाता थे। अधिवक्ताओं का कहना था कि पिछली बार चुनाव में मतदाताओं की संख्या करीब दस हजार थी, इस बार मतदाताओं की संख्या करीब 07 हजार हो गई है। यह निर्वाचन कमेटी की मनमानी की वजह से हो रहा। जिसका तमाम अधिवक्ताओं न विरोध किया है।
उधर चुनाव कमेटी ने ऑब्जेक्शन की तिथि 20 जून से बढ़ाकर 21 जून तक कर दी है। कमेटी का कहना है कि जिन अधिवक्ताओं के नाम मतदाता सूची में नहीं हैं वह ऑब्जेक्शन फार्म भरकर जमा कर दें। जिससे अंतिम मतदाता सूची में उनका नाम जोड़ा जा सके।
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रिपोर्ट: नवीन सारस्वत, प्रयागराज