
Prayagraj breaking- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कौशांबी के लोहंदा ग्राम प्रधान भूपनारायण पाल व दो अन्य की गिरफ्तारी पर सशर्त रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस आदेश के साथ याचिका निस्तारित कर दी है कि यदि आरोपित व्यक्ति जांच में सहयोग नहीं करते हैं तो जांच अधिकारी इस आदेश को वापस लेने के लिए आवेदन दायर करने के लिए स्वतंत्र होंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ तथा न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने याची के अधिवक्ता मनोज कुमार को सुनकर दिया है।
चार जून 2025 को सैनी थाने में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने तथा गिरफ्तार नहीं करने के लिए याचिका दाखिल की गई थी। ,
हाई कोर्ट ने कहा है कि जब तक बीएनएसएस. की धारा 193 (3) के अंतर्गत पुलिस रिपोर्ट पर ट्रायल कोर्ट द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाता है, तब तक याचीगण की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। बशर्ते वे विवेचना में सहयोग करें।ग्राम प्रधान के अलावा जगत नारायण व धर्मेंद्र पाल को इस आदेश से राहत मिली है। कौशांबी का लोहंदा गांव पखवाड़े भर से अधिक समय से चर्चा का केंद्र बना है। यहां नाबालिग से कथित दुष्कर्म के आरोप में जेल भेजे गए युवक के पिता रामबाबू तिवारी की थाने के बाहर खुदकुशी का मामला राजनीतिक व जातीय खींचतान की वजह बना है। खुदकुशी करने वाले रामबाबू ने सुसाइड नोट में ग्राम प्रधान व अन्य पर साजिश रचकर बेटे को झूठे आरोप में फंसाने का आरोप लगाया था। रामबाबू के पक्ष में गोलंबदी के बाद उसके बेटे को जेल से रिहा कर दिया गया। पुलिस ने दावा किया कि झूठा मामला लिखा गया था। चौकी इंचार्ज समेत दो पुलिस कर्मी मामले में निलंबित भी किए जा चुके हैं। पुलिस ने ग्राम प्रधान व अन्य पर साजिश रचने समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है।