Prayagraj News: कौड़िहार ब्लाक प्रमुख को सशर्त जमानत

नवाबगंज थाने में दर्ज है गो हत्या का केस 

Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौड़िहार ब्लाक प्रमुख मोहम्मद मुजफ्फर की गौहत्या के एक मामले में सशर्त जमानत मंजूर कर ली है।

यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने दिया है।

Prayagraj News- कलस्टर में स्वरोजगार इकाई स्थापित करने पर मिलेगा 50,000 का अनुदान

प्रयागराज के नवाबगंज थाने में दर्ज गो वध निरोधक एक्ट के मामले में दाखिल जमानत अर्जी में कहा गया था कि मोहम्मद मुजफ्फर निर्दोष है और इस मामले में उसे गलत तरीके से फंसाया गया है क्योंकि उसका नाम एफआईआर में नहीं था। उसका नाम आठ साल बाद सह अभियुक्त नूरैन उर्फ नूरा के बयान पर सामने आया है। मामले की जांच के दौरान विवेचक ने दो गवाहों मुलायम सिंह व अनिल पटेल के बयान दर्ज किए, जिन्होंने खुलासा किया कि आठ साल पहले की गई गोहत्या नूरैन उर्फ नूरा द्वारा याची के इशारे पर की गई थी। नूरैन उर्फ नूरा के कबूलनामे में याची का नाम सामने आया और बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में यह पता चला कि गवाह याची के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के रिश्तेदार हैं। यह भी कहा गया कि सभी सह अभियुक्तों को जिला व सत्र न्यायालय से जमानत मिल गई है। कहा गया कि याची ने कौड़िहार में ब्लॉक प्रमुख के रूप में शपथ ली, उसके बाद से वह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का शिकार है, जिससे उसे गलत तरीके से फंसाया गया और गिरफ्तारी हुई। याची का 43 मामलों का आपराधिक इतिहास है। ये मामले राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण थोपे गए हैं।

प्रभाकर तिवारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य और मोहम्मद वाजिद व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला भी दिया गया जिनमें कहा गया है कि केवल आपराधिक इतिहास के आधार पर जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता है और मेरिट भी जमानत याचिका के विचार के लिए महत्वपूर्ण होगी।

राज्य सरकार की ओर से जमानत की प्रार्थना का विरोध करते हुए तर्क दिया गया कि याची का 43 मामलों का आपराधिक इतिहास है, जिनमें से 15 मामले काऊ स्लाटर एक्ट चार गैंगस्टर एक्ट, पांच गुंडा एक्ट और कई अन्य मामले हैं। इससे स्पष्ट होता है कि याची आदतन अपराधी है और लंबे समय से आपराधिक गतिविधियों में शामिल है। यह भी कहा कि याची को कुछ मामलों में जमानत दी गई है लेकिन अगर उसे जमानत पर रिहा किया जाता है, तो समाज में कानून और व्यवस्था की स्थिति को खतरा हो सकता है।

सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले के अलावा याची का 43 अन्य मामलों का आपराधिक इतिहास है। पूरा आपराधिक इतिहास जमानत अर्जी में बताया गया है और यह पता चलता है कि सभी मामलों में याची या तो जमानत पर है या जांच के बाद अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई है। कोर्ट ने याची की ओर से इस तर्क में मेरिट पाई कि सामान्य तौर पर, जमानत का मामला बनता है तो केवल आपराधिक इतिहास के आधार पर अभियुक्त की जमानत याचिका खारिज नहीं की जानी चाहिए। कोर्ट ने मामले की तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मेरिट पर कोई राय व्यक्त किए बिना जमानत अर्जी शर्तों के साथ मंजूर कर ली। यह भी कहा कि शर्तों में से किसी एक के भी उल्लंघन पर अभियोजन पक्ष को याची की जमानत रद्द कराने की अर्जी दाखिल करने की छूट होगी। यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश की टिप्पणियां केवल जमानत अर्जी के निस्तारण से संबंधित तथ्यों तक सीमित हैं। उक्त टिप्पणियों का मामले के मेरिट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज

Show More

Related Articles

Back to top button