
Prayagraj- गैंग चार्ट तैयार करने में उ प्र गैंगस्टर एक्ट के उपबंधो व सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस की अवहेलना करने को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार को सभी जिलाधिकारियों व जिले के पुलिस शीर्ष अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की कार्ययोजना लागू करने का निर्देश दिया है।
थाना करारी कौशांबी में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के आरोपी विनय कुमार गुप्ता व अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि पुलिस ने वास्तविक खनन माफिया को बचाने के लिए गरीबी में जीवन बिता रहे श्रमिकों को गैंग लीडर व सदस्य बता केस दर्ज कर दिया। याचिका पर अधिवक्ता अरविंद कुमार मिश्र ने बहस की।
कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह को निर्देश दिया है कि गृह विभाग व निदेशालय अभियोजन की तीस दिन में एक चेक लिस्ट तैयार की जाय और विवेचना अधिकारी इसी लिस्ट के अनुसार गैंगस्टर एक्ट केस की विवेचना करें।
कोर्ट ने प्रदेश के डी जी पी को गृह विभाग के परामर्श से सुप्रीम कोर्ट के गोरखनाथ मिश्र केस के निर्देशानुसार नई गाइडलाइंस जारी करें।
कोर्ट ने डी जी पी को अपने 19फरवरी 18के सर्कुलर का कडाई से पालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है जिसमें सभी विवेचना अधिकारियों के लिए बाध्यकारी निर्देश है कि चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने से पहले केस डायरी सहित विवेचना अधिकारी सी ओ के मार्फत अभियोजन अधिकारी को भेजें । अभियोजन अधिकारी समीक्षा कर साक्ष्यों का मूल्यांकन करें और कोई कमी मिले तो उसकी पुनर्विवेचना कराई जाय । इसके बाद कोर्ट में चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट दाखिल की जाय।
कोर्ट ने महानिदेशक अभियोजन को भी निर्देश दिया है कि सभी अभियोजन अधिकारियों को केस डायरी व चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट की समीक्षा समयबद्ध तरीके से करें।
चार्जशीट इंडेक्स तैयार करें जिसमें क्रमांक, तिथिवार संक्षिप्त विवरण,केस डायरीवार विस्तृत व्योरा, दस्तावेज विवरण, विवेचना अधिकारी के उठाए कदमों का सार,धारा 94बी एन एस एस के तहत दस्तावेज पेश करने की नोटिस व विवेचना अधिकारी के अन्य मामलों का ब्योरा दिया जाय।
कोर्ट ने सभी विवेचना अधिकारियों को चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट,केस डायरी कोर्ट में पेश करने से पहले सुप्रीम कोर्ट के गोरखनाथ मिश्र केस की गाइडलाइंस व डी जी पी के 19फरवरी 18के सर्कुलर का पालन सुनिश्चित करें।
यदि पालन नहीं किया गया है तो अदालतें विवेचना अधिकारी को इसकी जानकारी दे और गाइडलाइंस का कड़ाई सेग पालन सुनिश्चित कराये।ताकि प्रदेश में कानून व्यवस्था बरकरार रहे।
कोर्ट ने प्रदेश के गृह विभाग को डी जी पी व निदेशालय अभियोजन को नया कार्यालय ज्ञाप /सर्कुलर जारी करने का भी निर्देश दिया है।और अपर मुख्य सचिव गृह से 45दिन में अनुपालन रिपोर्ट के साथ महानिबंधक के समक्ष हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
मालूम हो कि अजय कुमार को गैंग लीडर बताते हुए करारी थाने में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।याची के खिलाफ केवल एक केस दर्ज है,का गैंग चार्ट तैयार किया गया।जिसका जिलाधिकारी व एस पी ने अनुमोदन भी कर दिया।विनय कुमार गुप्ता, राजाराम केसरवानी,व राहुल को गैंग सदस्य बताया गया।कहा ये अवैध खनन माफिया है।अवैध खनन कर सरकार को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।जिस अधिकारी ने रोकने की जुर्रत की उसकी दुर्घटना कराकर मारने की कोशिश की गई। पुलिस ने याचियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की और कोर्ट ने संज्ञान लेकर सम्मन जारी किया है।जिसकी वैधता सहित केस कार्यवाही को चुनौती दी गई ।
याची अधिवक्ता अरविंद कुमार मिश्र व देवेन्द्र कुमार मिश्र ने आरोप लगाया कि याचियों पर झूठा केस दर्ज किया गया है। पुलिस माफिया गठजोड़ से अवैध खनन किया जा रहा,बिना अधिकारियों की सहमति के यह संभव नहीं है।खनन माफियाओं को बचाने के लिए गरीब श्रमिकों को खनन माफिया बता गैंगस्टर एक्ट का केस कायम किया गया है।
कोर्ट ने एस डी एम मंझनपुर से याचियो की आर्थिक सामाजिक हालत की रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट में याचियों के अत्यंत निर्धन व श्रमिक होने का खुलासा किया गया। उनके मकान कच्चे है। गैंग लीडर बाकरगंज का है, उसके पास कोई संपत्ति नहीं है। मजदूरी कर जीवन यापन करता है।इसी तरह की अन्य की हालत है।केवल राजाराम केसरवानी के पास जमीन ट्रैक्टर व मोटरसाइकिल है।
कोर्ट ने अधिकारियों से हलफनामे मांगे लंबी कवायद चली।डी एम व एस पी की सफाई से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई तो अपर मुख्य सचिव गृह से हलफनामा मांगा।और कहा नोडल अधिकारी सहित पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की कार्य पद्धति में सुधार लाना जरूरी है। कोर्ट ने सभी डी एम, पुलिस कमिश्नर,एस एस पी ,एस पी को प्रशिक्षित करने की कार्ययोजना पर अमल करने का आदेश दिया।और कहा नागरिकों पर कानूनी कार्यवाही में सावधानी बरती जाय।नोडल अधिकारी की रिपोर्ट पर प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की संयुक्त बैठक में गैंग चार्ट का अनुमोदन किया जाय।रूटीन तरीके से तैयार गैंग चार्ट का अनुमोदन नागरिक अधिकारों का हनन है।ग
कोर्ट ने उप सचिव स्तर के अधिकारी से एस एच ओ करारी व नोडल अधिकारी की जांच कराने तथा रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। रिपोर्ट में एस एच ओ को लापरवाह माना गया, विभागीय जांच करने का प्रस्ताव हुआ,नोडल अधिकारी को चेतावनी दी गई। याचियों के खिलाफ पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की।
रिपोर्ट: राजेश मिश्रा प्रयागराज