
Pratapgarh News:-राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता एवं वरिष्ठ सांसद प्रमोद तिवारी ने मंगलवार को संसद के शून्यकाल में देशभर के लाखों प्राथमिक शिक्षकों से जुड़े एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय को मजबूती से उठाया। उन्होंने कहा कि सक्षम न्यायालय के आदेश के अनुसार 1 सितंबर 2025 से अध्यापक पात्रता परीक्षा (TET) को कक्षा 1 से 8 तक के हर शिक्षक के लिए अनिवार्य कर दिया गया है, चाहे उनकी नियुक्ति किसी भी वर्ष में क्यों न हुई हो। यह निर्णय न केवल नए अभ्यर्थियों पर बल्कि पहले से नियुक्त शिक्षकों पर भी लागू कर दिया गया है।
सांसद ने बताया कि सिर्फ प्रतापगढ़ और उत्तर प्रदेश में लगभग दो लाख तथा पूरे देश में करीब पच्चीस लाख शिक्षक इस निर्णय से प्रभावित होंगे। इस मुद्दे के संसद में उठाए जाने से प्राथमिक शिक्षकों में स्पष्ट रूप से खुशी और राहत की भावना दिखाई दी है।
शिक्षकों में बढ़ रही चिंता और असुरक्षा की भावना
प्रमोद तिवारी ने सदन में कहा कि इस निर्णय से शिक्षकों में भारी असमंजस पैदा हुआ है। वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षकों के समक्ष नौकरी छिनने का खतरा उत्पन्न हो गया है। उन्होंने कहा कि—
-
सेवा के दौरान अचानक TET की अनिवार्यता थोपा जाना न्यायसंगत नहीं है
-
शिक्षकों का मानसिक तनाव बढ़ रहा है
-
इसका सीधा असर स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है
-
शिक्षा व्यवस्था अस्थिर हो रही है
सांसद ने कहा कि अनुभवी शिक्षकों को सेवा से बाहर करने की आशंका ‘शिक्षा के अधिकार’ की मूल भावना के भी विपरीत है।
केंद्र से हस्तक्षेप की मांग
अपने वक्तव्य में उन्होंने बताया कि देश के अलग-अलग राज्यों में TET की प्रभावी तिथियां भिन्न हैं। उदाहरणस्वरूप—
-
उत्तर प्रदेश में TET 27 जुलाई 2011 से लागू माना गया है।
-
लेकिन हालिया न्यायालयीन निर्णय के अनुसार इससे पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर भी TET की अनिवार्यता लागू कर दी गई है।
यह व्यवस्था कहती है कि पहले से नियुक्त शिक्षकों को दो वर्ष के भीतर TET पास करना होगा, अन्यथा उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति का सामना करना पड़ेगा।
इसी संदर्भ में उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की—
25 अगस्त 2010 से पहले (केंद्र) तथा
27 जुलाई 2011 से पहले (उत्तर प्रदेश)
नियुक्त सभी शिक्षकों को TET की अनिवार्यता से मुक्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा न सिर्फ रोजगार और भविष्य की सुरक्षा का है, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था के हित से जुड़ा संवेदनशील विषय है।
शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव का गंभीर संकेत
प्रमोद तिवारी ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में पहले ही शिक्षकों की भारी कमी के चलते कई विद्यालय बंद होने की स्थिति में हैं। ऐसे में अनुभवी शिक्षकों को जबरन हटाना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ जैसा होगा। उन्होंने सरकार को आगाह किया कि—
-
TET की अनिवार्यता हटाने से लाखों शिक्षक बचेंगे
-
विद्यालयों में शिक्षण कार्य में स्थिरता आएगी
-
छात्रों को अनुभवी शिक्षकों का लाभ मिलेगा
प्राथमिक शिक्षकों में खुशी व उम्मीद का संचार
यह मुद्दा संसद में उठाए जाने की खबर मिलते ही प्रतापगढ़ सहित पूरे प्रदेश के प्राथमिक शिक्षकों में नई ऊर्जा और उम्मीद जगी है। शिक्षकों ने इसे अपने भविष्य की सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
राज्यसभा में दिए गए इस वक्तव्य की जानकारी मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल द्वारा साझा की गई।
Pratapgarh News:-Read Also-International Human Rights Day : मानवाधिकार : अमल से दूर कागजी फसाना
रिपोर्ट : उमेश पाण्डेय, जिला संवाददाता – यूनाइटेड भारत



