
Pratapgarh: आज़ादी के बाद पहली बार मांधाता ब्लॉक के नूरपुर और पूरेला गांव के बीच स्थित रपटा पर पुल निर्माण की दिशा में ठोस पहल की गई है। यह वह काम है जिसे वर्षों से अनदेखा किया जाता रहा। लेकिन अब मांधाता ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि असफाक अहमद ने वह कर दिखाया है जिसकी केवल बातें होती थीं।
यह इलाका दो ग्रामसभाओं को जोड़ता है—जहां सनातन धर्म के अनुयायी और मुस्लिम समुदाय के लोग समान रूप से निवास करते हैं। दशकों से इस क्षेत्र के लोग नदी पार करने के लिए मजबूर हैं, चाहे वह शव यात्रा हो या रोज़मर्रा की ज़रूरतें। कई बार इस असुविधा के चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता रहा है।
अब जबकि असफाक अहमद ने पुल निर्माण का संकल्प लेकर उसे धरातल पर उतारने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाया है, पूरे क्षेत्र में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी है। जनता, समर्थक और शुभचिंतक सभी उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं।
इससे पहले क्षेत्र में कई विधायक, सांसद, साधु-संत, ब्राह्मण, क्षत्रिय, गुप्ता, पटेल, मुस्लिम जनप्रतिनिधि आए-गए, लेकिन किसी ने भी इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया। यह पहल एक मिसाल बनकर उभरी है कि जनप्रतिनिधि अगर चाहें तो वाकई में बदलाव ला सकते हैं।
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जनता का कहना है कि आज पुल की ज़रूरत एक हिंदू को है, तो कल किसी मुस्लिम को होगी। यह पहल सभी धर्मों, जातियों और वर्गों के लिए समान रूप से लाभकारी है। असफाक अहमद के इस जज़्बे ने यह साबित कर दिया है कि जनसेवा के लिए केवल इच्छा शक्ति और ईमानदारी की ज़रूरत होती है।
रिपोर्ट – उमेश पाण्डेय, ‘प्रयागराज’