
Parents consent is must for children: आज के डिजिटल दौर में सोशल मीडिया बच्चों की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बच्चे न सिर्फ दोस्तों से जुड़े रहते हैं, बल्कि नई चीज़ें सीखने और खुद को व्यक्त करने का माध्यम भी इन्हें मानते हैं। हालांकि, सोशल मीडिया जहां कई फायदे देता है, वहीं इसके साथ कुछ गंभीर खतरे भी जुड़े होते हैं। ऐसे में माता-पिता की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को इस डिजिटल दुनिया में सुरक्षित, जागरूक और संतुलित बनाए रखें। आइए जानें कुछ ज़रूरी सुझाव:
1. प्राइवेसी सेटिंग्स को सही से करें सेट
बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स की नियमित जांच करें। यह सुनिश्चित करें कि उनकी पोस्ट, फोटो, और लोकेशन जैसी संवेदनशील जानकारी केवल विश्वसनीय लोगों तक ही सीमित रहे। इससे उन्हें साइबर फ्रॉड, पहचान की चोरी और अन्य ऑनलाइन खतरों से बचाने में मदद मिलेगी।
2. सहज संवाद बनाए रखें, न कि सख्ती
बच्चा सोशल मीडिया पर क्या देख रहा है, किससे बातचीत कर रहा है—यह जानना ज़रूरी है, लेकिन निगरानी का तरीका संवाद और विश्वास पर आधारित होना चाहिए। सख्ती के बजाय दोस्ताना बातचीत से बच्चे आपसे खुलकर बात करेंगे और किसी भी परेशानी में मदद लेने से नहीं हिचकिचाएंगे।
3. समय की सीमा तय करें
बच्चों को घंटों मोबाइल या सोशल मीडिया पर समय बिताने की छूट न दें। एक निश्चित समय तय करें—जैसे दिन में एक घंटा—जिसमें वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें। बाकी समय पढ़ाई, खेल, रचनात्मक गतिविधियों और परिवार के साथ बिताने के लिए प्रेरित करें। इससे वे डिजिटल और वास्तविक जीवन के बीच संतुलन बनाना सीखेंगे।
4. साइबर खतरों के प्रति करें जागरूक
बच्चों को साइबर बुलिंग, फेक न्यूज़, ऑनलाइन फ्रॉड और अजनबियों से बातचीत के खतरे के बारे में शिक्षित करें। उन्हें यह समझाना ज़रूरी है कि किसी अनजान व्यक्ति को अपनी निजी जानकारी देना खतरनाक हो सकता है। साथ ही, किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत बताने की आदत डालें।
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5. संतुलित दिनचर्या बनाएं
बच्चों के लिए एक ऐसा टाइम टेबल बनाएं जिसमें पढ़ाई, डिजिटल गतिविधियां, आराम और खेल सभी के लिए पर्याप्त समय हो। इससे बच्चे समय प्रबंधन सीखेंगे और सोशल मीडिया का सीमित और सोच-समझकर उपयोग करना सीखेंगे।