
New Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर शनिवार को 206.43 मीटर तक गिर गया, जो शुक्रवार सुबह के 207.33 मीटर के स्तर से कम है। हालांकि, यमुना अभी भी खतरे के निशान 205.33 मीटर से ऊपर बह रही है, जिससे राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। पुराने रेलवे पुल (लोहा पुल) को नदी के प्रवाह की निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु माना जाता है।
बाढ़ से प्रभावित राज्य: पंजाब में सबसे ज्यादा नुकसान
दिल्ली के अलावा, उत्तर भारत के कई राज्य, जिनमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं, भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब में हुआ है, जहां लगभग 2000 गाँव जलमग्न हो गए हैं। इस संकट से निपटने के लिए पहली बार सेना की मदद ली गई है।
प्रधानमंत्री का जल्द ही दौरा
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे ताकि स्थिति का जायजा लिया जा सके।
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जल प्रबंधन और चुनौतियाँ
भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने बताया कि 1988 के बाद पंजाब में चार बार भारी बारिश हुई है, लेकिन इस बार पानी का स्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। पौंग बांध में पानी का स्तर 1988 में 7.9 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) था, जो इस साल बढ़कर 11.7 BCM हो गया है। हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बावजूद, नदी में जलस्तर उच्च बना हुआ है।
अन्य राज्यों की स्थिति
- हिमाचल प्रदेश: किन्नौर जिले में एक कृत्रिम झील बन गई है, और कुल्लू में मलबे से शव मिले हैं। वायुसेना ने चंबा में फंसे मणिमहेश श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला।
- हरियाणा: झज्जर, फरीदाबाद, सिरसा, कुरुक्षेत्र और अंबाला जिलों में नदियाँ उफान पर हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
- राजस्थान: दौसा जिले में मोरल बांध के भर जाने से एक दीवार टूट गई, जिससे आसपास के इलाकों में पानी भर गया।
दिल्ली में, बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारी स्थिति पर 24 घंटे नजर रखे हुए हैं और यमुना के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और अन्य सुरक्षित स्थानों पर बने टेंटों में स्थानांतरित किया गया है।