
New Delhi: विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों की समस्याओं के समाधान के लिए भारत सरकार ने एक बेहद मजबूत और मल्टी-चैनल व्यवस्था तैयार की है। सरकार द्वारा संचालित इमरजेंसी हेल्पलाइन, ईमेल, सोशल मीडिया, 24×7 मल्टीलिंगुअल कॉल सेंटर, ओपन हाउस और विशेष ऑनलाइन पोर्टल—‘मदद’, ‘सीपीजीआरएएमएस’ और ‘ई-माइग्रेट’—विदेश में फंसे या परेशानी में पड़े भारतीयों के लिए किसी रामबाण समाधान की तरह काम कर रहे हैं।
बीते दो वर्षों में ही ‘मदद’ पोर्टल पर 11,195 और सीपीजीआरएएमएस पर 4,932 शिकायतें दर्ज की गईं। इन पोर्टलों के जरिए विदेश मंत्रालय को शिकायतकर्ता की समस्या की पूरी जानकारी तुरंत मिल जाती है, जिससे समय रहते सहायता पहुंचाना आसान हो जाता है।
राज्यसभा में पेश हुआ विस्तृत ब्यौरा
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि 1 जनवरी 2024 से 30 नवंबर 2025 के बीच इन पोर्टलों पर हजारों शिकायतें मिलीं। उन्होंने उन टॉप-10 देशों की सूची भी जारी की, जहां से सबसे ज्यादा शिकायतें प्राप्त हुईं।
इनमें सबसे ऊपर हैं:
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सऊदी अरब – 3,049 शिकायतें
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संयुक्त अरब अमीरात (UAE) – 1,587 शिकायतें
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मलेशिया – 662 शिकायतें
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अमेरिका – 620 शिकायतें
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ओमान – 613 शिकायतें
कैसे होती है शिकायतों का समाधान?
राज्यमंत्री ने बताया कि ये पोर्टल शिकायतकर्ताओं को दुनिया में कहीं से भी अपनी शिकायत दर्ज करने, उसकी स्थिति ट्रैक करने और पारदर्शी व समयबद्ध समाधान प्राप्त करने की सुविधा देते हैं।
समाधान की प्रक्रिया में शामिल हैं—
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शिकायतकर्ता या परिजनों से सीधी बातचीत
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संबंधित एजेंसियों से मीडिएशन
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मेजबान देशों के विदेश मंत्रालय के साथ समन्वय
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जरूरी होने पर पैनल वकीलों के जरिए कानूनी मदद
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लगातार फॉलो-अप
क्यों होती है कभी-कभी देरी?
सरकार ने स्पष्ट किया कि बहुत कम मामले ऐसे होते हैं जिनका समाधान लंबित रहता है। देरी के कारण आमतौर पर सरकार के नियंत्रण से बाहर होते हैं, जैसे—
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शिकायतकर्ता की अधूरी जानकारी
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विदेशी नियोक्ताओं का असहयोग
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स्थानीय अदालतों में मामला लंबित होना
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स्थानीय प्रशासन द्वारा की जा रही जांच
सरकार के अनुसार, इन सभी चुनौतियों के बावजूद ‘मदद’ और अन्य पोर्टल लाखों प्रवासी भारतीयों के लिए भरोसेमंद सुरक्षा कवच बन चुके हैं।



