New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में आरोपित दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर आज सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने इस बारे में CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी किया। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को करने का आदेश दिया।
सिसोदिया ने 21 मई को दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से जमानत देने से मना करने के आदेश को चुनौती दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि सिसोदिया ने पद का दुरुपयोग किया। घोटाले के इलेक्ट्रॉनिक सुबूत भी मिटाए। बाहर आकर सुबूत और गवाहों पर असर डाल सकते हैं।
हाई कोर्ट में ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन ने कहा था कि इस मामले के ट्रायल में आरोपितों की वजह से देरी हो रही है। एक आरोपित ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कहा है कि 1700 पेजों के चार्जशीट में से उन्होंने 1600 पेजों का परीक्षण नहीं किया है। वो आरोपित आम आदमी पार्टी का प्रवक्ता है। ट्रायल कोर्ट ने एक आरोपित की घर के खाना की मांग पर भी सुनवाई की।
मनीष सिसोदिया की ओर से जमानत की मांग करते हुए दलील दी गई थी कि अभी भी इस मामले में ईडी और सीबीआई की जांच जारी है। सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ वकील दायन कृष्णन ने कहा था कि इस मामले में अभी भी गिरफ्तारी जारी है। सुनवाई के दौरान दायन कृष्णन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया था और कहा था कि सीबीआई ने इस मामले में एक मुख्य चार्जशीट और दो पूरक चार्जशीट दाखिल की हैं। ईडी ने एक मुख्य चार्जशीट और छह पूरक चार्जशीट दाखिल की हैं।
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दोनों मामलों में अभी जांच जारी है। इस मामले में अभी गिरफ्तारी भी जारी है। सबसे ताजा गिरफ्तारी 3 मई को की गई है। उन्होंने कहा था कि एक आरोपित के खिलाफ तो अभी आरोप भी तय नहीं किए गए हैं। ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान इस पहलू पर गौर नहीं किया। उन्होंने कहा कि ट्रायल शुरू करने की दिशा में शून्य काम हुआ है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक मनीष सिसोदिया को जमानत दी जानी चाहिए।