
नई दिल्ली। देश में नक्सली हिंसा लगातार कम हो रही है। केंद्र सरकार की ताजा समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, अब केवल 38 जिले ही सुरक्षा-संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के तहत आते हैं, जबकि पहले इनकी संख्या 46 थी। इनमें से भी सिर्फ 11 जिले वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित माने गए हैं।
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने यह समीक्षा रिपोर्ट जारी की है, जो वर्ष 2015 में बनी राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना के तहत तैयार की गई। इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नक्सल समस्या से निपटने के लिए रणनीति बनाती हैं। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई, बेहतर खुफिया समन्वय और नक्सल प्रभावित इलाकों में तेज विकास कार्यों के कारण हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है। यही कारण है कि अब एसआरई योजना के तहत जिलों की संख्या घटाकर 38 कर दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में अब केवल तीन जिले सबसे अधिक प्रभावित श्रेणी में बचे हैं – छत्तीसगढ़ के बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा। वर्ष 2015 में जब यह श्रेणी बनाई गई थी, तब ऐसे 35 जिले थे। यह संख्या घटकर अब मात्र तीन रह जाना नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
अब हिंसा में भारी कमी आई
इसके अलावा, सरकार ने कुछ जिलों को विरासत और प्रमुख जिले के रूप में चिह्नित किया है, जहां पहले नक्सल प्रभाव ज्यादा था, लेकिन अब हिंसा में भारी कमी आई है। इनमें छत्तीसगढ़ का कांकेर, झारखंड का पश्चिम सिंहभूम, मध्य प्रदेश का बालाघाट और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली प्रमुख हैं। ये जिले लगभग नक्सल-मुक्त हो चुके हैं, फिर भी केंद्र सरकार इन इलाकों में क्षमता निर्माण और विकास कार्यों को जारी रखेगी ताकि नक्सली प्रभाव दोबारा न उभर सके।
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नक्सलवाद के प्रभाव से उबर रहे अन्य जिलों में ओडिशा के आठ, छत्तीसगढ़ के छह, बिहार के चार, झारखंड के तीन, तेलंगाना के दो, और आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा पश्चिम बंगाल के एक-एक जिले शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने विश्वास का माहौल बनाया
विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय युवाओं को रोजगार, शिक्षा और आधारभूत सुविधाओं से जोड़ना, नक्सली विचारधारा को कमजोर करने की दिशा में सबसे बड़ा कारक बना है। वहीं, केंद्र सरकार की विकास योजनाओं जैसे सड़क, स्वास्थ्य केंद्र, मोबाइल नेटवर्क और बैंकिंग सुविधाओं ने भी इन इलाकों में विश्वास का माहौल बनाया है।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है। सरकार का लक्ष्य 2026 तक देश को पूरी तरह नक्सल मुक्त बनाना है। लगातार घटती हिंसा, कम होते नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या और मजबूत प्रशासनिक ढांचे के चलते यह स्पष्ट है कि भारत अब नक्सल-मुक्त राष्ट्र बनने की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा चुका है।



