Bihar Election : मोकामा में बदलता समीकरण, अनंत की गिरफ्तारी और दुलारचंद की हत्या के बाद सियासत में नई हलचल

मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या और अनंत सिंह की गिरफ़्तारी के बाद सियासी समीकरण बदलते दिख रहे हैं। जानिए किस ओर झुक रहा है मोकामा का जनमत।

Bihar Election : मोकामा विधानसभा क्षेत्र में सियासी समीकरण एक बार फिर बदलते दिख रहे हैं। जनसुराज पार्टी के समर्थक और बाहुबली नेता दुलारचंद यादव की हत्या तथा जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह की गिरफ़्तारी के बाद इलाक़े में जातीय और राजनीतिक बहस तेज़ हो गई है। यह सब कुछ ऐसे समय हुआ है जब 6 नवंबर को मतदान होना है।

पुलिस के मुताबिक़, दुलारचंद यादव की हत्या गुरुवार को तब हुई जब उनका काफ़िला तारतर और बसावनचक गाँव के बीच अनंत सिंह के काफ़िले से टकरा गया। इस वारदात के बाद अनंत सिंह को पटना पुलिस ने शनिवार देर रात बाढ़ के करगिल मार्केट से गिरफ़्तार किया, जहां वे रहते हैं। पुलिस का कहना है कि अनंत सिंह हत्या के मुख्य आरोपी हैं और उनके साथ दो अन्य लोगों को भी पकड़ा गया है।

मोकामा लंबे समय से भूमिहार बाहुबलियों का गढ़ रहा है। यहां अनंत सिंह और सूरजभान सिंह, दोनों ही इसी जाति से आते हैं। वहीं, जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी धानुक जाति से हैं, जो पिछड़ी जातियों और दलित मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश में हैं। स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि अनंत सिंह की गिरफ़्तारी के बावजूद भूमिहार वोट अभी भी उनके पक्ष में जा सकते हैं, जबकि आरजेडी प्रत्याशी वीणा देवी (सूरजभान सिंह की पत्नी) को यादव वोटों का सहारा मिल सकता है।

अनंत सिंह पर सीधे हत्या का आरोप लगाया

दुलारचंद यादव के पोते नीरज यादव ने अनंत सिंह पर सीधे हत्या का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पुलिस मामले को जातीय मोड़ देने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, अनंत सिंह के समर्थक इस घटना के लिए सूरजभान सिंह को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं सूरजभान सिंह ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि इसका जवाब जनता देगी।

58 वर्षीय अनंत सिंह पिछले दो दशकों से मोकामा की राजनीति में प्रभावशाली चेहरा रहे हैं। 2005 से लगातार विधायक रहे अनंत सिंह ने जेडीयू, आरजेडी और निर्दलीय – तीनों रूपों में चुनाव जीते हैं। 2020 में वे आरजेडी से विधायक बने थे, लेकिन आर्म्स एक्ट मामले में अयोग्य घोषित कर दिए गए। इसी मामले में जेल से रिहा होने के बाद 2024 में जेडीयू ने उन्हें टिकट दिया।

लोकसभा चुनाव के बाद बिगड़े रिश्ते

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अनंत सिंह और दुलारचंद यादव के बीच रिश्ते 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद बिगड़े। उस समय अनंत सिंह ने ललन सिंह का समर्थन किया था, जबकि दुलारचंद ने आरजेडी प्रत्याशी कुमारी अनिता (अशोक महतो की पत्नी) का। तब से दोनों गुटों में दूरियां बढ़ती चली गईं।

मोकामा में फिलहाल माहौल तनावपूर्ण लेकिन शांत बताया जा रहा है। करगिल मार्केट में अनंत सिंह के दफ़्तर पर समर्थक चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं और दावा कर रहे हैं कि गिरफ़्तारी से जनसमर्थन और बढ़ा है। दूसरी ओर, दुलारचंद यादव की हत्या से ओबीसी और दलित वोटों में हलचल है।

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अब सवाल यह है कि क्या अनंत सिंह की गिरफ़्तारी उनके लिए सहानुभूति में बदल पाएगी, या फिर मोकामा की सियासत में कोई नया समीकरण उभरेगा। आने वाला मतदान ही इसका जवाब देगा।

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