
Pratapgarh news: आधुनिकता की दौड़ में लुप्त हो रही पुरानी ग्रामीण परंपराओं और सामुदायिक एकता को फिर से स्थापित करने के लिए प्रतापगढ़ के रानीगंज में ‘मेरा गांव मेरा तीर्थ’ अभियान की शुरुआत की गई है। इस पहल का नेतृत्व भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आलोक पांडेय कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य गांवों में सामाजिक समरसता और एकजुटता को बढ़ावा देना है।
गांवों के ‘चौरा’ थे सामाजिक एकता के केंद्र
पुराने समय में, हर गांव में एक ‘चौरा’, काली माता का थान, या बरम बाबा का स्थान होता था। ये स्थान सिर्फ पूजा स्थल नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए आस्था और सामाजिक मेलजोल का केंद्र भी थे। यहां गांव के लोग मिलकर अपने सुख-दुःख साझा करते थे और हर छोटे-बड़े समारोह का आयोजन करते थे। ये चौरे ही थे, जो पूरे गांव को एक धागे में पिरोकर रखते थे और सामाजिक समरसता, एकता और सामंजस्य की भावना को मजबूत करते थे।
आधुनिकता के कारण लुप्त हो रही परंपराएं
भाजपा नेता आलोक पांडेय ने बताया कि आज के समय में लोग विकास और आधुनिकता की चकाचौंध में अपने गांव के इन ‘तीर्थों’ को भूल चुके हैं। संचार और यातायात के साधन बढ़ने से लोग दूर-दूर के मंदिरों में तो आसानी से पहुंच जाते हैं, लेकिन अपने ही गांव के ग्राम देवताओं और चौपालों की उपेक्षा कर रहे हैं। इसी कारण गांवों में आपसी सामंजस्य और भाईचारा कमजोर हो रहा है।
अभियान का उद्देश्य
‘मेरा गांव मेरा तीर्थ’ अभियान के माध्यम से आलोक पांडेय लोगों में फिर से पुरानी परंपराओं और एकजुटता की भावना को जगाना चाहते हैं। उनका मानना है कि यह पहल न सिर्फ लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ेगी, बल्कि पलायन की स्थिति पर भी विराम लगाने में सहायक होगी। इस अभियान की शुरुआत शुक्रवार को रानीगंज विधानसभा के देवगढ़ कमासिन गांव से हुई, जहां आलोक पांडेय ने कमासिन माता के मंदिर में पूजा-अर्चना कर लोक कल्याण की प्रार्थना भी की। इस दौरान कई स्थानीय नेता और ग्रामीण मौजूद रहे, जिन्होंने इस पहल का स्वागत किया।
रिपोर्टें उमेश पाण्डेय जिला संवाद दाता यूनाईटेड भारत प्रतापगढ़