
Lucknow Spectrum 2025. नवंबर का महीना राजधानी लखनऊ के लिए रंगों, सृजनशीलता और कल्पनाओं का उत्सव बन गया, जब फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी ने अपने बहुप्रतीक्षित आर्ट फेयर “लखनऊ स्पेक्ट्रम-2025” का आयोजन 1 से 30 नवंबर तक किया। संस्थापिका एवं निदेशक नेहा सिंह और क्यूरेटर भूपेंद्र अस्थाना, राजेश कुमार और गोपाल सामंतराय के दूरदर्शी नेतृत्व में आयोजित यह माहभर चलने वाला आयोजन कलाकारों, कला-प्रेमियों, विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक साझा मंच बना, जहाँ भारतीय समकालीन, लोक,जनजातीय और पारंपरिक कला की विविधता और गहराई को करीब से अनुभव किया जा रहा है।
इस आयोजन का उद्देश्य नई पीढ़ी को दृश्य कलाओं की दुनिया से जोड़ना है, उन्हें पुस्तकों और परीक्षाओं की सीमाओं से आगे बढ़कर सृजनशीलता का अनुभव कराने और कला में निवेश करने का अवसर देना है। शहर के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से स्पेक्ट्रम ने अकादमिक शिक्षा और सौंदर्यबोध के बीच एक सार्थक पुल का निर्माण किया है। लगातार इस फेयर को देखने के लिए कलाप्रेमी,कलाकार, कला समीक्षक,लेखक,कला निवेशक,वास्तुविद आदि लोग बड़ी संख्या में आ रहे हैं।
बुधवार को प्रतिष्ठित संस्थानों में लखनऊ पब्लिक स्कूल्स एंड कॉलेजेस (एल.पी.एस.) की सक्रिय भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। कला के महत्त्व को समझते हुए विद्यालय प्रबंधन ने अपने विद्यार्थियों को इस प्रदर्शनी का अवलोकन करने के लिए प्रेरित किया ताकि वे विभिन्न कलाकारों के रचनात्मक दृष्टिकोण और तकनीकों को समझ सकें।
40 विद्यार्थियों ने प्रदर्शनी का भ्रमण किया
बुधवार को एल.पी.एस. राजाजीपुरम शाखा से लगभग 40 विद्यार्थियों ने इस प्रदर्शनी का भ्रमण किया। उनके साथ प्राचार्या श्रीमती भारती गोसांई तथा कला शिक्षिकाएँ श्रीमती पुष्पा देसवाल और श्रीमती सविता विश्वकर्मा उपस्थित रहीं। विद्यार्थियों ने कलाकारों की रचनाओं का अवलोकन किया और कला के माध्यमों, विषयों एवं विचारों को समझने का प्रयास किया। यह अनुभव उनके लिए अत्यंत प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक सिद्ध हुआ। इस पहल को द प्लासियो टीम का भी पूरा सहयोग प्राप्त हुआ।
डायरेक्टर संजीव शरिन के मार्गदर्शन में प्लासियो प्रबंधन ने अपने गर्मजोशी भरे आतिथ्य से आयोजन को और भी सफल बना दिया। यह आयोजन केवल एक प्रदर्शनी नहीं रहा, बल्कि सामूहिक सीख और रचनात्मकता का उत्सव बन गया है।
आर्ट फेयर में देशभर से 111 कलाकारों की विविध रचनाएँ प्रदर्शित की गईं – पेंटिंग्स, मूर्तियाँ, इंस्टॉलेशन और मिक्स-मीडिया कार्यों ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया। प्रत्येक कला-कृति अपनी कहानी, भावना और दृश्य संवाद लेकर उपस्थित थी, जिसने विशेषकर विद्यार्थियों के मन में नई जिज्ञासा और सोच का संचार किया।
ये आर्ट फेयर नहीं, सीखने का मंच
संस्थापिका नेहा सिंह का लखनऊ स्पेक्ट्रम-2025 के पीछे उद्देश्य केवल एक आर्ट फेयर आयोजित करना नहीं है, बल्कि इसे एक सीखने का मंच भी बनाना है, जहाँ विद्यार्थी सृजनशीलता की अनंत संभावनाओं से परिचित हो सकें। उनका विश्वास है कि प्रारंभिक स्तर पर कला से परिचय बच्चों की संवेदना, कल्पनाशक्ति और समालोचनात्मक सोच को विकसित करता है।
भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने प्रदर्शित रचनाओं पर विचार-विमर्श किया। शिक्षकों ने उन्हें कलाकृतियों के पीछे के विचारों, तकनीकों और माध्यमों को समझने में सहायता की। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार के अनुभव न केवल कला के क्षेत्र में बल्कि डिजाइन, आर्किटेक्चर और दृश्य संचार जैसे क्षेत्रों में भी भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं।
आर्ट फेयर ने यह भी दर्शाया रहा है कि कला शिक्षा किस प्रकार भावनात्मक बुद्धिमत्ता और नवाचारी सोच को विकसित करने का माध्यम बन सकती है। पेशेवर कलाकारों से सीधे संवाद और मूल रचनाओं को देखने का अवसर विद्यार्थियों के दृष्टिकोण को व्यापक बनाता है।
शिक्षिकाओं ने दिया मार्गदर्शन
प्राचार्या भारती गोसांई ने आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की पहल विद्यार्थियों की रचनात्मक सोच को प्रोत्साहन देती है। उन्होंने नेहा सिंह के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को कला-जगत से परिचित कराना एक अमूल्य शैक्षणिक अनुभव है।
कला शिक्षिकाएँ पुष्पा देसवाल और सविता विश्वकर्मा ने विद्यार्थियों को प्रदर्शनी में मार्गदर्शन देते हुए विभिन्न विषयों और तकनीकों की व्याख्या की। विद्यार्थियों ने समूह चर्चा के माध्यम से अपने अनुभव साझा किए और अपने पसंदीदा कला कार्यों पर विचार व्यक्त किए।
सार्थक संवाद स्थापित करने में सफल रहा कार्यक्रम
कई विद्यार्थियों के लिए यह अनुभव आँखें खोल देने वाला साबित हुआ। उन्होंने जाना कि कला केवल एक विषय नहीं, बल्कि दुनिया को देखने और समझने का एक दृष्टिकोण है। रंगों और कल्पना से भरे स्पेक्ट्रम का वातावरण उनके मन में गहरी छाप छोड़ रहा है। माहभर चलने वाले इस फेयर को कलाकारों, शिक्षकों और दर्शकों से भरपूर सराहना मिल रही है। यह आयोजन कला और शिक्षा, परंपरा और आधुनिकता, दृष्टि और अभिव्यक्ति के बीच सार्थक संवाद स्थापित करने में सफल रहा है।
यह भी पढ़ें – White Collar Terror Module : 24 साल में 36 घटनाएं , कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर तो कोई प्रोफेसर
अंत में कहा जा सकता है कि आर्ट फेयर “लखनऊ स्पेक्ट्रम-2025” ने कला, शिक्षा और जनसंपर्क को एक सूत्र में बाँधते हुए एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी, प्लासियो टीम, और एल.पी.एस. के सामूहिक सहयोग ने यह सिद्ध कर दिया कि सामूहिक सांस्कृतिक प्रयास युवाओं को न केवल कलात्मक दृष्टि प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और रचनाशील सोच की दिशा में प्रेरित भी करते हैं।



