Prayagraj News- कोरांव तहसील में एसडीएम के खिलाफ अधिवक्ताओं का आमरण अनशन और भूख हड़ताल जारी

ट्रांसफर की मांग को लेकर 26वें दिन भी हड़ताल जारी, जिला प्रशासन की चुप्पी से बढ़ रहा आक्रोश

Prayagraj News- तहसील कोरांव में एसडीएम आकांक्षा सिंह के मनमाने रवैये और अधिवक्ताओं के प्रति कथित तानाशाही व्यवहार के विरोध में अधिवक्ताओं का आंदोलन उग्र होता जा रहा है। अधिवक्ता पिछले 26 दिनों से अनवरत हड़ताल पर हैं और अब आंदोलन आमरण अनशन और भूख हड़ताल का रूप ले चुका है।

पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार तिवारी के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को भी आंदोलन को जारी रखा। उनके साथ बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष श्यामाकांत त्रिपाठी उर्फ बब्बन बागी भूख हड़ताल पर बैठे रहे। अधिवक्ताओं का साफ कहना है कि जब तक एसडीएम आकांक्षा सिंह का ट्रांसफर नहीं किया जाता, तब तक हड़ताल खत्म नहीं होगी।

“हर जोर-जुल्म के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है”

हड़ताल स्थल पर पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार तिवारी ने कहा,

“अगर पसीने के बदले खून का एक-एक कतरा भी बहाना पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे। एसडीएम का ट्रांसफर हमारी पहली और आखिरी मांग है।”

इस दौरान सभी अधिवक्ताओं ने उनका समर्थन किया और एक स्वर में प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद की। पूर्व अध्यक्ष शेखर द्विवेदी ने भी अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अधिवक्ता हित सर्वोपरि हैं और अन्याय के खिलाफ लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता रोहिणी प्रसाद तिवारी ने कहा कि 26 दिन बीतने के बावजूद जिला प्रशासन की निष्क्रियता अधिवक्ताओं के आक्रोश को और भड़का रही है।

बृहस्पतिवार को रात भर डटे रहे अधिवक्ता

बृहस्पतिवार को अधिवक्ताओं ने दिनभर नारेबाजी और अनशन जारी रखा और रात भर धरना स्थल पर डटे रहे। ललन कुमार तिवारी और श्यामाकांत त्रिपाठी पूरी रात आमरण अनशन और भूख हड़ताल पर बैठे रहे।

स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी से अधिवक्ताओं में नाराजगी

धरने के दौरान बृहस्पतिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम के नहीं पहुंचने से अधिवक्ताओं में नाराजगी फैल गई। हालांकि शुक्रवार सुबह सीएचसी कोरांव के डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ धरना स्थल पर पहुंचे और अनशन पर बैठे अधिवक्ताओं की स्वास्थ्य जांच कर दवाइयां दीं, जिससे कुछ हद तक नाराजगी कम हुई।

सरकारी जमीन और चकमार्ग कब्जे के भी उठे मुद्दे

हड़ताल के दौरान कई अधिवक्ताओं ने तहसील क्षेत्र में सरकारी जमीनों और चकमार्गों पर हो रहे अवैध कब्जों के मुद्दे भी उठाए और प्रशासन की उदासीनता पर सवाल खड़े किए।


मुख्य अधिवक्ता जो आंदोलन में शामिल रहे:

विंध्यवासिनी प्रसाद शुक्ला (पूर्व मंत्री), अजय तिवारी, श्याम सुंदर तिवारी, बृजेश मिश्रा (पूर्व मंत्री), पारस नाथ पांडेय, मुन्ना, संतोष श्रीवास्तव, विद्यानंद वर्मा, जितेंद्र चतुर्वेदी विज्ञान, अनूप मिश्रा, श्याम मिश्रा, कौशलेश तिवारी महाकाल, देवेंद्र चतुर्वेदी, आशुतोष तिवारी, रोहित पांडेय, पन्नालाल मिश्रा, अम्बिका पाल, भास्कर यादव, मणि शंकर शर्मा, कौशलेश मिश्रा विपिन, ब्रह्म शंकर तिवारी, निपेंद्र मिश्र, राजा तिवारी, लवकुश तिवारी
सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ता लगातार आंदोलन में शामिल हैं।

रिपोर्ट- सुरेश तिवारी (कोरांव)

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