Khelo India Beach Games 2025: प्राकृतिक चुनौतियों और अनोखे प्रारूप ने बीच कबड्डी को बनाया इनडोर कबड्डी से अधिक कठिन

Khelo India Beach Games 2025: खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025 के आयोजन के साथ बीच कबड्डी ने खुद को एक उभरते हुए और रोमांचक खेल के रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है। जहां भारत में मैट पर खेले जाने वाली पारंपरिक कबड्डी को लंबे समय से दर्शकों का भरपूर समर्थन और प्रोफेशनल लीग्स के ज़रिए लोकप्रियता मिलती रही है, वहीं समुद्र तट पर खेले जाने वाली बीच कबड्डी भी अब धीरे-धीरे अपनी पहचान बना रही है।

दीव के घोघला बीच पर आयोजित हो रहे इस खेल महोत्सव में आठ खेलों को शामिल किया गया है, जिनमें से दो डेमो गेम हैं। आयोजन की प्रभारी और वरिष्ठ कोच सिमरत गायकवाड़ ने बताया कि बीच कबड्डी के लिए यह बेहद उत्साहजनक समय है। उन्होंने कहा, “यह एक नया और रोमांचक प्रारूप है। खेलो इंडिया बीच गेम्स इसे लोकप्रिय बनाने का शानदार मंच प्रदान कर रहे हैं।”

दिल्ली की महिला कबड्डी टीम की कोच सुनीता ने भी इस नए संस्करण को लेकर आशा जताई। उन्होंने कहा, “समुद्र के किनारे खेलना एक अनोखा अनुभव है। यहाँ का वातावरण पारंपरिक इनडोर कबड्डी से बिलकुल अलग है। कबड्डी तो पहले ही भारत में बेहद लोकप्रिय है, अब उम्मीद है कि बीच कबड्डी भी देशभर में पहचान बनाएगी।”

प्राकृतिक स्थितियों से मुकाबला बनाता है इस खेल को कठिन

बीच कबड्डी को पारंपरिक कबड्डी की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसमें खिलाड़ियों को रेत, तेज धूप और समुद्री हवाओं जैसी अस्थिर प्राकृतिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। रेत में पैर धँसने से दौड़ना और दिशा बदलना मुश्किल हो जाता है। वहीं तेज धूप और समुद्री हवा खिलाड़ियों की सहनशक्ति की भी कठिन परीक्षा लेती हैं। सुनीता कहती हैं, “गैर-तटीय राज्यों से आने वाले खिलाड़ियों के लिए यह वातावरण और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है। कृत्रिम रेत का टर्फ अच्छा है, लेकिन पूरा माहौल बहुत भिन्न और demanding है।”

संशोधित नियम और कॉम्पैक्ट प्रारूप

हालांकि बीच कबड्डी और पारंपरिक कबड्डी के मूल तत्व एक जैसे हैं, फिर भी समुद्र तटीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कुछ नियमों में बदलाव किए गए हैं। बीच कबड्डी में प्रत्येक टीम में केवल चार खिलाड़ी होते हैं, जबकि पारंपरिक कबड्डी में सात। यहां प्रत्येक हाफ 15 मिनट का होता है (जबकि पारंपरिक में 20 मिनट का), और खिलाड़ियों का रिवाइवल नहीं होता। इसके अलावा, बीच कबड्डी का कोर्ट आकार में भी छोटा होता है, जिससे खेल और अधिक तेज़ एवं तीव्र हो जाता है।

खेल का भविष्य और संभावनाएं

ठाणे (मुंबई) की रहने वाली, सात बार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकीं सिमरत गायकवाड़ का मानना है कि बीच कबड्डी का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा, “इस खेल को बढ़ावा देने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है, लेकिन अगर ऐसे आयोजन नियमित रूप से होते हैं और इसमें करियर की संभावना बनती है, तो निश्चित रूप से बीच कबड्डी भी मुख्यधारा में जगह बना सकती है।”

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खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025 में लड़कों और लड़कियों के वर्ग में दो-दो पूल बनाए गए हैं, और प्रत्येक वर्ग में आठ-आठ टीमें हिस्सा ले रही हैं। हर पूल से शीर्ष दो टीमें सेमीफाइनल में जगह बनाएंगी। बीच कबड्डी मुकाबले मंगलवार से शुरू हो चुके हैं और दोनों वर्गों के फाइनल शनिवार को खेले जाएंगे, जो कि इस टूर्नामेंट का अंतिम प्रतिस्पर्धी दिन भी होगा।

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