
Kaushambhi news: शासन-प्रशासन की साख को धता बताते हुए जिला कृषि रक्षा अधिकारी इंद्रजीत यादव ने स्थानांतरण आदेश के बावजूद अपना कार्यभार नहीं छोड़ा है। कृषि निदेशक लखनऊ द्वारा 14 जून 2025 को जारी आदेश के अनुसार, उन्हें तत्काल प्रभाव से दूसरे जिले में स्थानांतरित किया गया था, लेकिन वह अब तक कौशांबी में ही पद पर बने हुए हैं।
अवैध वसूली और लाइसेंस रहित दुकानों के गंभीर आरोप
सूत्रों के अनुसार, इंद्रजीत यादव पर जिले में बिना लाइसेंस की कृषि रक्षा दुकानों से अवैध वसूली करने के गंभीर आरोप हैं। जानकारी के अनुसार, सैकड़ों दुकानें बिना वैध लाइसेंस के चल रही हैं, जहाँ से मिलावटी और नकली कृषि रसायनों की बिक्री खुलेआम हो रही है। इससे न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
हर महीने लाखों की अवैध कमाई का दावा
स्थानीय नागरिकों और विभागीय कर्मचारियों का दावा है कि इंद्रजीत यादव इन अवैध दुकानों से हर महीने लाखों रुपये की काली कमाई कर रहे हैं। यही कारण है कि वे कौशांबी छोड़ने को तैयार नहीं हैं और राजनीतिक सिफारिशों व ऊपर के अधिकारियों से दबाव डालकर स्थानांतरण आदेश रुकवाने की कोशिशों में जुटे हैं।
शासन और विभागीय अनुशासन पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने शासन की नीयत और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कृषि निदेशक के स्पष्ट आदेश की अवहेलना करना एक गंभीर अनुशासनहीनता मानी जा रही है। जनता सवाल कर रही है कि जब एक अधिकारी सरकार के आदेश को नहीं मानता, तो विभागीय पारदर्शिता और जवाबदेही की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
मुख्यमंत्री से सख्त कार्रवाई की मांग
कौशांबी के किसानों और नागरिकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इंद्रजीत यादव जैसे अधिकारियों को निलंबित किया जाए, विस्तृत जांच कराई जाए और आवश्यक हो तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाए।
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जनता का सवाल: “क्या शासन के आदेशों की अब कोई अहमियत नहीं?”
कौशांबी की जनता का सवाल है —
“जब एक ट्रांसफर आदेश तक का पालन नहीं होता, तो जिले में सुशासन की उम्मीद कैसे की जाए?”
लोगों का कहना है कि अगर शासन की पकड़ कमजोर पड़ी तो भ्रष्टाचार को खुली छूट मिल जाएगी और किसान सबसे बड़ा शिकार बनते रहेंगे।