
Justice Suryakant : भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 30 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस सूर्यकान्त को देश का अगला मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) नियुक्त किया है। वह 24 नवंबर, 2025 को पदभार ग्रहण करेंगे और उनका कार्यकाल फरवरी 2027 तक लगभग 15 महीने का होगा, जो हाल के कुछ मुख्य न्यायाधीशों के मुकाबले काफी लंबा है।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस सूर्यकान्त न केवल मामलों की सुनवाई करेंगे, बल्कि सुप्रीम कोर्ट से जुड़े प्रशासनिक फैसलों – जैसे कौन सा मामला कब सुना जाएगा और किस बेंच के सामने आएगा, उस पर भी उनका अधिकार होगा। इसी कारण सीजेआई को न्यायिक फैसलों में परोक्ष शक्ति का धारक भी माना जाता है।
कई चर्चित मामलों में रहे सुर्खियों में
पिछले वर्षों में जस्टिस सूर्यकान्त कई हाई-प्रोफाइल मामलों में चर्चा में रहे हैं। इनमें बिहार में ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ प्रक्रिया, कॉमेडियन समय रैना के शो से जुड़े विवाद और अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी शामिल है।
इसके अलावा, वह आर्टिकल 370, राजद्रोह कानून की सुनवाई, पेगासस जासूसी आरोप, असम में नागरिकता विवाद और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे जैसे अहम मामलों का हिस्सा रहे।
2022 में पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा को फटकार लगाने और बाद में उनके मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय भी काफी चर्चा में रहा। उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े कई मामलों में महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।
करियर : वकालत से सर्वोच्च न्यायपालिका तक
सूर्यकान्त ने 22 वर्ष की उम्र में हरियाणा में वकालत शुरू की। 1985 में उन्होंने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और 2000 में वे हरियाणा के एडवोकेट-जनरल बने और वह भी कम आयु में, जब वे सीनियर एडवोकेट भी नहीं थे। 2004 में उन्हें हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। 2019 में वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और उसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट में उनका इलेवेशन हुआ।
विवादों से भी रहा सामना
उन पर 2012 और 2017 में कुछ संपत्ति और जमानत मामलों से जुड़े आरोप लगे थे, जिन पर कार्रवाई हुई या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि 2019 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इन्हें निराधार बताया। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में जजों की संपत्ति सार्वजनिक की, जिसमें जस्टिस सूर्यकान्त की आठ संपत्तियां और करोड़ों के निवेश शामिल थे।
महत्वपूर्ण फैसले और आगे की चुनौतियाँ
उनके सबसे चर्चित फैसलों में 2021 का यूएपीए से जुड़ा निर्णय शामिल है, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि मुकदमे में देरी हो रही हो, तो आरोपी को जमानत दी जा सकती है। इस फैसले का असर अभी भी कई मामलों में दिख रहा है।
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सीजेआई के रूप में उनके सामने कई अहम मामले लंबित हैं – जैसे नागरिकता संशोधन कानून की याचिकाएं, वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने से जुड़ा मामला, मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया, मनी लॉन्ड्रिंग कानून की चुनौती और रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा। अब देखना होगा कि जस्टिस सूर्यकान्त अपने कार्यकाल में संविधान पीठों की सुनवाई और लंबित संवैधानिक मामलों को किस दिशा में आगे बढ़ाते हैं।



