
New Delhi. तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रही शांति वार्ता के बीच तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने शनिवार को चेतावनी दी कि अगर वार्ता विफल रही तो दोनों देशों के बीच “खुला युद्ध” छिड़ सकता है।
रॉयटर्स के अनुसार, आसिफ ने कहा कि अफगानिस्तान शांति चाहता है, लेकिन समझौता न होने का मतलब खुला युद्ध है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह बयान उस समय आया जब इस्तांबुल में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच दूसरे दौर की वार्ता शुरू हुई।
बैठक का उद्देश्य
- सीमा पर जारी तनाव को कम करना
- हाल में हुई भीषण झड़पों के बाद स्थायी युद्धविराम स्थापित करना
- सुरक्षा चिंताओं और आतंकवादी गतिविधियों पर आपसी भरोसा बहाल करना
बता दें कि दोनों देशों की साझा सीमा पर पिछले दो हफ्तों में हुई झड़पों में कई नागरिकों की मौत हो चुकी है।
काबुल विस्फोटों के बाद भड़का विवाद
तनाव की शुरुआत काबुल में हुए धमाकों से हुई, जिसके लिए तालिबान सरकार ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर जवाबी गोलाबारी हुई।
हालांकि, पहले दौर की वार्ता के बाद युद्धविराम की घोषणा की गई थी, लेकिन यह कुछ ही दिनों में टूट गया। तालिबान ने इसके लिए इस्लामाबाद को दोषी ठहराया।
कतर और तुर्की की मध्यस्थता से हुआ दूसरा युद्धविराम
तनाव कम करने के लिए कतर और तुर्की ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई। रविवार को दूसरा युद्धविराम लागू हुआ, जो फिलहाल प्रभावी बना हुआ है। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, इस्तांबुल में हो रही इस वार्ता में दोनों देशों के प्रतिनिधि दोहा में तय किए गए स्थिरता तंत्रों को मजबूत करने की दिशा में चर्चा कर रहे हैं। वार्ता के सटीक स्थान और समय का खुलासा सुरक्षा कारणों से नहीं किया गया है।
दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल पहुंचे इस्तांबुल
अफगानिस्तान की ओर से उप गृह मंत्री हाजी नजीब के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को तुर्की पहुंचा। वहीं पाकिस्तान की ओर से दो वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों का दल वार्ता में भाग ले रहा है। अफगानिस्तान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा – इस्लामिक अमीरात का प्रतिनिधिमंडल इस्तांबुल में शेष मुद्दों पर चर्चा करेगा। यह बैठक दोहा समझौते की निरंतरता है।
दोनों देशों के रुख में सख्ती
अफगान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने कहा कि तालिबान सरकार अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं पाकिस्तान का कहना है कि वार्ता में मुख्य रूप से अफगानिस्तान की धरती से पाकिस्तान में फैल रहे आतंकवाद के खतरे पर बात की जाएगी।
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काबुल में हुए विस्फोटों का समय भी महत्वपूर्ण था – यह घटना उस समय हुई जबद तालिबान के विदेश मंत्री भारत की एक दुर्लभ यात्रा पर थे, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और गहराया।
गौरतलब है कि पाकिस्तान लंबे समय तक तालिबान का मुख्य रणनीतिक सहयोगी रहा है। इस्लामाबाद ने अतीत में भारत का प्रभाव कम करने के लिए तालिबान को समर्थन दिया था। लेकिन अब, सीमा पार आतंकवादी हमलों और सुरक्षा उल्लंघनों के कारण दोनों के रिश्तों में दरार साफ़ दिख रही है।



