
International Trade News : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के चावल निर्यात को लेकर की गई टिप्पणी ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने संकेत दिया कि भारत के चावल निर्यात पर कड़े कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे वैश्विक बाज़ार में नई उथल-पुथल की आशंका बढ़ गई है।
भारतीय व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की यह बयानबाज़ी केवल राजनीतिक रणनीति है और इससे अमेरिका को ही नुकसान होगा। एक्सपर्ट का तर्क है कि अमेरिका खुद भारत से कई कृषि उत्पादों, मसालों और खाद्यान्नों पर निर्भर है। ऐसे में भारत के चावल या अन्य वस्तुओं पर रोक या दबाव बनाने की कोशिश अमेरिका के लिए आर्थिक रूप से उलटी पड़ेगी।
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और वैश्विक सप्लाई चेन का अहम हिस्सा है। अगर ट्रंप भारत के चावल पर प्रतिबंध या दमनकारी नीति लागू करने की कोशिश करते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं को बढ़ी कीमतों और बाज़ार में कमी का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका जैसे देशों में अमेरिकी प्रभाव भी कम हो सकता है।
भारत के व्यापार मंडल का स्पष्ट कहना है कि अमेरिका कोई “एहसान” नहीं कर रहा, बल्कि दोनों देशों का व्यापार पारस्परिक लाभ पर आधारित है। इसलिए ट्रंप की बयानबाज़ी ज्यादा राजनीतिक है, आर्थिक नहीं।
कुल मिलाकर, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के चावल पर “कड़ी नजर” डालने की ट्रंप की नीति अमेरिका के लिए नुकसानदायक ही सिद्ध होगी।



