
INSV Koundinya: भारतीय नौसेना का स्वदेशी पारंपरिक सेलिंग वेसल आईएनएसवी कौंडिन्य सोमवार को गुजरात के पोरबंदर से ओमान की राजधानी मस्कट के लिए अपनी पहली विदेश यात्रा पर रवाना हुआ। नौसेना ने इस अभियान को भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को जीवंत रूप में पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया है।
मई माह में नौसेना में शामिल किए गए इस जहाज को पश्चिमी नौसेना कमान के ध्वज अधिकारी कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर ओमान के भारत में राजदूत ईसा सालेह अल शिबानी और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
आईएनएसवी कौंडिन्य का निर्माण सदियों पुरानी भारतीय सिलाई-जहाज निर्माण तकनीक से किया गया है, जिसमें प्राकृतिक सामग्री और पारंपरिक विधियों का उपयोग हुआ है। ऐतिहासिक स्रोतों और चित्रात्मक साक्ष्यों से प्रेरित यह जहाज भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण, नौकायन और समुद्री नेविगेशन परंपरा का प्रतीक माना जा रहा है। यह यात्रा उन प्राचीन समुद्री मार्गों का पुनः अनुसरण करती है, जो कभी भारत के पश्चिमी तट को ओमान से जोड़ते थे और जिनके माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय तकनीक से निर्मित यह जहाज भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं को उजागर करता है। उन्होंने चालक दल को सुरक्षित और यादगार यात्रा की शुभकामनाएं दीं।
यह भी पढ़ें – India Pakistan relations : पहले अपने गिरेबान में झांके पाकिस्तान, अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी को लेकर भारत की दो टूक
नौसेना के अनुसार, इस अभियान से भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय संबंधों, सांस्कृतिक संपर्कों और साझा समुद्री विरासत को नई मजबूती मिलने की उम्मीद है।



