Indian Aviation Collapse : किंगफिशर से लेकर गो फर्स्ट तक, अचानक थम गई थी उड़ान… जानिये पूरी कहानी

Indian Aviation Collapse :  भारत की किंगफिशर, जेट एयरवेज़, गो फर्स्ट समेत पाँच बड़ी एयरलाइंस क्यों बंद हुईं? कर्ज़, ईंधन कीमतें और प्रबंधन की चूक ने कैसे उड़ान थाम दी - पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

Indian Aviation Collapse : भारत का विमानन बाजार कभी दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते क्षेत्रों में शामिल था। नई एयरलाइंस आतीं, सस्ती टिकटों के वादे होते और यात्रियों को लगता कि हवाई सफर अब पहले से आसान हो जाएगा। लेकिन बढ़ता कर्ज़, ऊंची ईंधन कीमतें और ग़लत प्रबंधन ने कई बड़ी कंपनियों को ज़मीन पर ला खड़ा किया। किंगफिशर से लेकर गो फर्स्ट तक, पांच प्रमुख एयरलाइंस की अचानक रुक गई उड़ानों की यह कहानी आज भी भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए सबक है।

पहली बड़ी गिरावट किंगफिशर एयरलाइंस की रही। 2003 में परमिट मिलने के बाद एयरलाइन ने शाही अनुभव, हाई-एंड सर्विस और तेज़ विस्तार पर दांव लगाया। एयर डेक्कन की खरीद और अंतरराष्ट्रीय रूटों में बढ़ोतरी के बावजूद खर्च इतना बढ़ा कि कंपनी डगमगाने लगी। लगातार नुकसान, बढ़ता कर्ज़ और कर्मचारियों की सैलरी तक न चुका पाने की नौबत के चलते डीजीसीए ने अक्टूबर 2012 में इसका लाइसेंस रद्द कर दिया। आर्थिक मंदी ने हालात और बदतर कर दिए और एयरलाइन कभी वापसी नहीं कर पाई।

दूसरी बड़ी बंद होने वाली कंपनी जेट एयरवेज़ रही। 1993 में एयर-टैक्सी से शुरुआत कर जेट कुछ ही वर्षों में भारत की प्रमुख एयरलाइन बनी। घरेलू और विदेशी रूटों पर इसकी पकड़ मजबूत थी। लेकिन 2018 में भारी घाटे और नकदी की कमी ने इसके संचालन को संकट में डाल दिया। बैंकों और पार्टनर एतिहाद के बीच रेस्क्यू प्लान पर सहमति नहीं बन पाई, और अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज़ को अपनी सभी उड़ानें बंद करनी पड़ीं।

लो-कॉस्ट मॉडल पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी

तीसरी एयरलाइन गो फ़र्स्ट (पूर्व में गो एयर) थी, जिसने 2005 से लो-कॉस्ट मॉडल पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी। कंपनी 2010 से 2018 तक मुनाफे में रही, लेकिन 2022 के बाद इंजन संबंधी समस्याओं, भुगतान की गड़बड़ियों और लीज़ कंपनियों के दबाव ने हालात बेकाबू कर दिए। लगभग आधे विमान ग्राउंडेड हो गए और 2023 में कंपनी दिवालियापन प्रक्रिया में गई।

जनवरी 2025 में एनसीएलटी ने गो फर्स्ट के लिक्विडेशन का आदेश दिया, जिससे 17 साल पुरानी एयरलाइन का अंत हो गया।
चौथी कंपनी एयर डेक्कन थी, जिसने भारत में किफ़ायती हवाई यात्रा की शुरुआत की। छोटे शहरों को एटीआर विमानों से जोड़ने वाली इस एयरलाइन का सपना 2007 में किंगफिशर के अधिग्रहण के बाद भी पूरा न हो सका। बाद में किंगफिशर रेड के साथ विलय के बावजूद संकट गहराता गया। 2017 में उड़ान योजना के तहत दोबारा शुरुआत हुई, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान अप्रैल 2020 में कंपनी ने अनिश्चितकालीन बंदी की घोषणा कर दी।

2010 तक इसके सभी विमान ज़ब्त हो गए

पांचवीं एयरलाइन पैरामाउंट ने आधुनिक एम्ब्रेयर विमानों के साथ लग्ज़री लेकिन किफ़ायती बिज़नेस क्लास सेवा का मॉडल पेश किया था। 2005 में शुरुआत के बाद कंपनी ने तेजी से ध्यान खींचा, लेकिन लीज़ भुगतान विवाद, कानूनी लड़ाइयों और बकाया कर्ज़ ने इसके संचालन को ठप कर दिया। 2010 तक इसके सभी विमान ज़ब्त हो गए और उड़ानें बंद करनी पड़ीं।

इन पांचों एयरलाइंस की कहानियां अलग-अलग हैं, लेकिन नतीजा एक ही, भारतीय विमानन उद्योग में टिके रहना आसान नहीं। ऊँचे परिचालन खर्च, ईंधन की बढ़ती कीमतें, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और वित्तीय अनुशासन की कमी किसी भी कंपनी को आसमान से ज़मीन पर ला सकती है। भारतीय विमानन के भविष्य के लिए ये घटनाएं आज भी महत्वपूर्ण चेतावनी की तरह खड़ी हैं।

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