ढाका के आरोपों पर भारत का पलटवार, कहा– बांग्लादेश के खिलाफ गतिविधियों के लिए अपनी ज़मीन का कभी इस्तेमाल नहीं होने दिया

India Bangladesh Relations: भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की ओर से लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि उसने कभी भी अपनी ज़मीन का इस्तेमाल बांग्लादेश के हितों के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया। भारत ने साथ ही बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण संसदीय चुनावों की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।

यह प्रतिक्रिया बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय द्वारा ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किए जाने के कुछ घंटों बाद आई। बांग्लादेश ने आरोप लगाया था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो इस समय भारत में रह रही हैं, भारतीय भूमि से “भड़काऊ बयान” दे रही हैं। इसके साथ ही ढाका ने अवामी लीग के कुछ अन्य नेताओं की गतिविधियों पर भी चिंता जताई थी, जो फिलहाल भारत में मौजूद हैं।

इन आरोपों पर विदेश मंत्रालय (MEA) ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “भारत बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा जारी प्रेस नोट में किए गए सभी दावों को पूरी तरह खारिज करता है।” मंत्रालय ने दोहराया कि भारत ने हमेशा बांग्लादेश में शांतिपूर्ण माहौल में स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और विश्वसनीय चुनावों का समर्थन किया है।

MEA के बयान में कहा गया, “भारत ने कभी भी अपनी ज़मीन का इस्तेमाल बांग्लादेश के मित्रवत लोगों के हितों के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया है।” साथ ही यह भी उम्मीद जताई गई कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार आंतरिक कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी, ताकि आगामी चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से कराए जा सकें।

बांग्लादेश में 12 फरवरी को संसदीय चुनाव प्रस्तावित

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में 12 फरवरी को संसदीय चुनाव प्रस्तावित हैं। ये चुनाव पिछले साल अगस्त में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना सरकार के पतन के बाद होने वाले पहले आम चुनाव होंगे। हालांकि, अवामी लीग ने इन चुनावों को खारिज कर दिया है। पार्टी का आरोप है कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष माहौल में चुनाव कराने में सक्षम नहीं है।

अवामी लीग ने हाल ही में जारी एक बयान में कहा कि मौजूदा व्यवस्था पूरी तरह पक्षपाती है और उसके नियंत्रण में पारदर्शी व निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं। गौरतलब है कि पिछले महीने ढाका की एक विशेष ट्रिब्यूनल ने 78 वर्षीय शेख हसीना को छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान कार्रवाई से जुड़े “मानवता के खिलाफ अपराधों” के मामले में मौत की सज़ा सुनाई थी। हसीना 5 अगस्त से भारत में रह रही हैं।

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