World Inequality Report 2026 : देश में आर्थिक खाई हो रही और चौड़ी, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

World Inequality Report 2026 :  वर्ल्ड इनइक्वेलिटी रिपोर्ट 2026 के अनुसार भारत में शीर्ष 1 फीसदी लोगों के पास 40 फीसदी संपत्ति। महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले आधे से भी कम वेतन मिलता है।

World Inequality Report 2026 : आय और संपत्ति के असमान वितरण के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है। वर्ल्ड इनइक्वेलिटी रिपोर्ट 2026 के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में आर्थिक खाई और ज़्यादा चौड़ी हो रही है। यह रिपोर्ट अर्थशास्त्री लुकस चांसेल, रिकार्डो गोमेज़-कैरेरा, रोवाइडा मोशरिफ़ और थॉमस पिकेटी की टीम ने 200 से अधिक वैश्विक शोधकर्ताओं के सहयोग से तैयार की है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुल आय का 58 फीसदी हिस्सा केवल शीर्ष 10 फीसदी लोग हासिल कर रहे हैं, जबकि निचले 50 फीसदी की हिस्सेदारी सिर्फ 15 फीसदी है। संपत्ति के मामले में असमानता और गहरी है। देश की कुल वेल्थ का 65 फीसदी हिस्सा टॉप 10 फीसदी लोगों के पास है, और इनमें से भी शीर्ष 1 फीसदी आबादी देश की 40 फीसदी संपत्ति पर कब्जा रखती है।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 से 2024 के बीच आय असमानता का स्तर लगभग स्थिर रहा है, लेकिन यह बेहद ऊंचे स्तर पर बना हुआ है। भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय (पीपीपी के हिसाब से) 6,200 यूरो यानी लगभग साढ़े छह लाख रुपये सालाना है, जबकि औसत प्रति व्यक्ति संपत्ति करीब 28,000 यूरो यानी लगभग 29 लाख रुपये आंकी गई है।

लैंगिग असमानता चिंताजनक

रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक पहलू लैंगिक असमानता को लेकर है। इसमें कहा गया है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अधिक समय काम करने के बावजूद कम आय अर्जित करती हैं। महिलाओं का कुल साप्ताहिक कार्य-घंटा 53 घंटे बताया गया है, जबकि पुरुष औसतन 43 घंटे काम करते हैं।

इसके बावजूद भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले प्रति घंटे सिर्फ 61 फीसदी वेतन मिलता है। यदि अवैतनिक घरेलू श्रम को शामिल किया जाए तो यह अंतर घटकर सिर्फ 32 फीसदी रह जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं की श्रम क्षेत्र में भागीदारी सिर्फ 15.7 फीसदी है और पिछले दशक में इसमें कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है।

रिपोर्ट बताती है कि आर्थिक असमानता केवल भारत की समस्या नहीं है। दुनियाभर में शीर्ष 10 फीसदी कमाने वाले लोग वैश्विक कुल आय के मुकाबले बाकी 90 फीसदी की संयुक्त आय से अधिक कमाते हैं। यही स्थिति संपत्ति के मामले में और भयावह है- दुनिया की तीन-चौथाई संपत्ति अमीरों के इसी शीर्ष 10 फीसदी वर्ग के पास है, जबकि निचले स्तर के लोगों के पास सिर्फ 2 फ़ीसदी।

अरबपतियों की संपत्ति में 8 फीसदी दर से वृद्वि

नब्बे के दशक से अरबपतियों की संपत्ति में सालाना लगभग 8 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है, जो दुनिया की गरीब आबादी की वृद्धि दर से लगभग दोगुनी है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि वैश्विक नीति-निर्माता कर सुधार, सामाजिक सुरक्षा और संपत्ति वितरण पर कड़े कदम उठाकर आर्थिक असमानता को कम कर सकते हैं।

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वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब के को-डायरेक्टर थॉमस पिकेटी ने कहा कि यह रिपोर्ट उस समय आई है, जब दुनिया राजनीतिक और सामाजिक रूप से चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। लेकिन समानता की दिशा में ऐतिहासिक प्रयास जारी रखकर ही भविष्य की जलवायु और सामाजिक चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।

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