Housefull 5 Movie Review: जब कॉमेडी से मिला सस्पेंस, बना मनोरंजन का फुल-ऑन पैकेज!

Housefull 5 Movie Review: कई सालों बाद बड़े पर्दे पर एक ऐसी कॉमेडी फिल्म आई है, जिसने दर्शकों को सिर्फ हंसाया ही नहीं, बल्कि थ्रिलर का तड़का भी लगाया। ‘हाउसफुल 5’ एक बार फिर इस फ्रेंचाइज़ी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, दर्शकों को एक शानदार ‘पैसा वसूल’ अनुभव देती है।

✨ कहानी में ट्विस्ट्स की भरमार

फिल्म की कहानी एक आलीशान क्रूज पर सेट है, जहां अरबपति रंजीत डोबरियाल की रहस्यमयी मौत हो जाती है। वसीयत के अनुसार, उसकी सारी संपत्ति ‘जॉली’ नामक शख्स को मिलनी है — लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब तीन अलग-अलग जॉली इस संपत्ति पर दावा ठोकते हैं। DNA टेस्ट की प्रक्रिया शुरू होती है, लेकिन तभी डॉक्टर की हत्या हो जाती है। असली जॉली कौन है? डॉक्टर को किसने मारा? जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

🎭 डबल क्लाइमैक्स: दर्शक की पसंद

इस फिल्म की सबसे अनोखी बात है इसका डुअल एंडिंग कॉन्सेप्ट। दर्शकों को थिएटर में टिकट बुकिंग के समय दो विकल्प मिलते हैं — ‘Housefull 5A’ और ‘Housefull 5B’, जिनमें अलग-अलग क्लाइमैक्स दिखाए गए हैं। ये प्रयोग भारतीय सिनेमा में एक नई कोशिश है, जो दर्शकों की दिलचस्पी को और भी बढ़ाता है।

👏 एक्टिंग और किरदार

अक्षय कुमार (जूलियस उर्फ जॉली 3), रितेश देशमुख (जालाबुद्दीन उर्फ जॉली 1), और अभिषेक बच्चन (जलभूषण उर्फ जॉली 2) की तिकड़ी ने स्क्रीन पर कॉमेडी का तूफान ला दिया है। इनके साथ जैकलीन फर्नांडिस, सोनम बाजवा, नरगिस फाखरी, संजय दत्त, जैकी श्रॉफ और नाना पाटेकर जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों को जीवंत बना दिया है।

जॉनी लीवर, फरदीन खान, श्रेयस तलपड़े, डिनो मोरिया जैसे सपोर्टिंग कास्ट भी पूरी फिल्म में चार चांद लगाते हैं। खासकर चंकी पांडे का ‘आखरी पास्ता’ वाला अंदाज़ हमेशा की तरह दिल जीत लेता है।

🎬 निर्देशन और तकनीकी पक्ष

तरुण मनसुखानी का निर्देशन संतुलित है। उन्होंने फुल मसाला एंटरटेनमेंट देने की पूरी कोशिश की है और ज्यादातर जगहों पर कामयाब भी रहे हैं। जूलियस पैकियम का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की गति को थामे रखता है और सीन में इमोशन और ह्यूमर का पंच सही समय पर देता है।

📌 छोटे-मोटे कमजोर पक्ष

फिल्म का पहला हाफ थोड़ा खिंचता हुआ लगता है और कुछ जोक्स रिपीटेड लग सकते हैं। लेकिन जैसे ही इंटरवल के बाद सस्पेंस पर फोकस आता है, फिल्म रफ्तार पकड़ लेती है और अंत तक बांधे रखती है।

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