
haryana News. हरियाणा पुलिसिया तंत्र इन दिनों भारी तूफान से गुजर रहा है। आईपीएस पूरन कुमार की चिता की लपटों के साथ राजनीति माफिया और पुलिसिया गठजोड़ उसमें झुलसता हुआ नजर आ रहा है। कई सवाल हैं, जिनके जवाब देने में महकमे के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री कुछ माकूल जवाब न तो दे पा रहे हैं या देना नहीं चाहते हैं। जातीय भेदभाव, भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और गैंगस्टर से सांठगांठ जैसे आरोपों ने पूरे राज्य की कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
कहानी की शुरुआत 29 सितंबर से तब हुई, जब 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार का तबादला अचानक आईजी (रोहतक रेंज) से सुनारिया पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज में कर दिया गया, इसकी कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी। इस आदेश ने उन्हें गहराई तक झकझोर दिया। उन्होंने अगले ही दिन पदभार छोड़ा और एक सप्ताह की छुट्टी पर चले गए।
1 अक्टूबर को मामले ने तब और खतरनाक मोड़ ले लिया, जब पूरन कुमार अपने निजी सुरक्षा अधिकारी सुशील कुमार के साथ रोहतक से चंडीगढ़ जा रहे थे। इस दौरान रोहतक पुलिस ने उनकी गाड़ी को रोक लिया और एएसआई संदीप लाठर ने बिना एफआईआर या वारंट दिखाए पीएसओ को हिरासत में ले लिया। पूरन कुमार के विरोध करने पर उन्हें कथित तौर पर धमकाया गया – अगली बार तुम्हारी बारी आएगी। इसी दौरान उनके पीएसओ की सर्विस रिवॉल्वर, जिसे बाद में पूरन कुमार ने अपनी जान लेने में इस्तेमाल किया, कार में ही रह गई थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1 से 5 अक्टूबर के बीच पीएसओ सुशील कुमार से कथित तौर पर गैरकानूनी तरीके से पूछताछ की गई। उनसे पूरन कुमार के खिलाफ झूठा बयान देने का दबाव बनाया गया। पूरन कुमार ने तत्कालीन डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरानिया से कई बार संपर्क साधा, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी।
इसके बाद अक्टूबर को पीएसओ के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसने 2.5 लाख रुपये की वसूली की कोशिश की। एफआईआर की जांच करने वाली टीम में वही एएसआई संदीप लाठर थे। बताया जा रहा है कि यह एफआईआर इसलिए दर्ज की गई ताकि अप्रत्यक्ष रूप से पूरन कुमार को फंसाया जा सके।
अगले दिन यानी 7 अक्टूबर को पूरन कुमार ने चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास पर खुद को गोली मार ली। घटनास्थल से मिले 8 पेज के सुसाइड नोट में आठ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम लिखे थे और आरोप लगाया कि उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।
इसके बाद पूरन कुमार की पत्नी, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार 8 अक्टूबर को विदेश दौरे से लौटीं और चंडीगढ़ पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि जब तक सुसाइड नोट में नामित अधिकारियों की गिरफ्तारी नहीं होती, वह पोस्टमार्टम की अनुमति नहीं देंगी।
14 अक्टूबर : दूसरा सुसाइड और गहराया संकट
14 अक्टूबर को इस केस में नया मोड़ आया, जब एएसआई संदीप लाठर, जो पूरन कुमार के पीएसओ के खिलाफ जांच कर रहे थे, ने भी खुद को गोली मार ली। उनका शव रोहतक-पानीपत रोड के पास एक खेत में मिला। उन्होंने तीन पन्नों का सुसाइड नोट और एक वीडियो संदेश छोड़ा। इस सुसाइड नोट में लाठर ने चौंकाने वाले आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पूरन कुमार और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और महिला अफसरों के साथ गलत व्यवहार के आरोप हैं। लाठर ने लिखा कि मैं निष्पक्ष जांच की मांग के लिए अपनी जान दे रहा हूं, ताकि इस भ्रष्ट नेटवर्क का सच सामने आ सके।
गैंगस्टर कनेक्शन सामने आया
संदीप लाठर ने यह भी दावा किया कि पूरन कुमार ने एक हत्या के केस से खुद को बचाने के लिए कुख्यात गैंगस्टर राव इंद्रजीत के साथ 50 करोड़ रुपये का सौदा किया था। राव इंद्रजीत, जो जेम्स म्यूज़िक नाम की कंपनी चलाता है और अमेरिका में छिपा है, का नाम हाल ही में रोहतक के फाइनेंसर मंजीत मर्डर केस और यूट्यूबर एल्विश यादव के घर पर फायरिंग जैसे मामलों में भी जुड़ा है।
इन आरोपों के बाद हरियाणा सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरानिया को पदस्थापित कर दिया गया। यह वही दो अधिकारी हैं, जिनका नाम पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में लिया था।
राजनीतिक रंग और जातिगत सवाल
विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दलित अधिकारी पूरन कुमार को जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। वहीं, सरकार अब इसे एक भ्रष्टाचार और व्यक्तिगत टकराव का मामला बताने में जुटी है।