GST reforms: महंगाई पर लगेगी लगाम, GST दरों में कमी से सीपीआई पर सकारात्मक प्रभाव संभव- एसबीआई

GST reforms: नई दिल्ली में जीएसटी दरों में कमी के फैसले से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने से सरकार को सालाना 3,700 करोड़ का न्यूनतम राजस्व नुकसान होगा, जबकि केंद्र सरकार का अनुमान इससे काफी अधिक 48,000 करोड़ का है।

जीएसटी दरों में बदलाव और इसका प्रभाव

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में जीएसटी के मौजूदा चार-स्तरीय ढांचे को दो-स्तरीय कर दिया गया है। नई दरों में 18% और 5% के दो प्रमुख स्लैब शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ चुनिंदा वस्तुओं और सेवाओं पर 40% की दर भी लागू होगी। ये नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी।

राजस्व और महंगाई पर असर

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी दरों में इस कमी से राजस्व पर पड़ने वाला असर न्यूनतम होगा। इसका राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दूसरी ओर, महंगाई में कमी आने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% या शून्य कर दी गई है। इससे चालू वित्त वर्ष 2025-26 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में 0.25% से 0.30% तक की कमी हो सकती है। कुल मिलाकर, आगामी वित्त वर्ष 2026-27 तक सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 0.65% से 0.75% के बीच नियंत्रित रहने का अनुमान है।

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बैंकिंग क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव

एसबीआई की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से बैंकिंग क्षेत्र पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे लागत दक्षता में सुधार होगा। जीएसटी लागू होने के समय प्रभावी भारित औसत दर 14.4% थी, जो अब घटकर 9.5% हो गई है। यह दर्शाता है कि कर सुधारों से अर्थव्यवस्था में दक्षता बढ़ रही है।

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