Grand Alliance cracks: बिहार विधानसभा चुनावों के लिए महागठबंधन की रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं, जब संयुक्त चुनाव घोषणा पत्र के कार्यक्रम में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की गैरमौजूदगी ने गठबंधन की एकता पर संदेह खड़ा कर दिया। इस मौके पर राजद ने ‘तेजस्वी प्रण’ की घोषणा की, लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और दिल्ली से आए वरिष्ठ नेता नदारद रहे।
प्रेस वार्ता में कांग्रेस की चुप्पी
घोषणा पत्र जारी करने के कार्यक्रम से अशोक गहलोत और भूपेश बघेल जैसे वरिष्ठ नेता भी गायब रहे। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेता पटना में मौजूद हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए। अधीर रंजन चौधरी की भी कोई सक्रियता नहीं दिखी, जिससे कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
तेजस्वी यादव अकेले मोर्चे पर
राजद नेता तेजस्वी यादव ने गठबंधन की ओर से चुनावी वादों की घोषणा की, लेकिन कांग्रेस की चुप्पी ने उन्हें अकेला कर दिया। ‘टिकट चोर बिहार छोड़’ जैसे नारों के साथ ओबीसी, अतिपिछड़ा, मुस्लिम और दलित वर्गों में कांग्रेस के प्रति नाराज़गी देखी जा रही है।
राजनीतिक समीकरणों पर असर
कांग्रेस की निष्क्रियता से महागठबंधन की चुनावी रणनीति कमजोर होती दिख रही है। तेजस्वी यादव को अब अकेले ही गठबंधन की उम्मीदों को संभालना पड़ रहा है, जिससे उनके नेतृत्व पर दबाव बढ़ गया है।
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आगे की राह
महागठबंधन को एकजुटता दिखाने की जरूरत है, वरना विपक्षी दलों को इसका फायदा मिल सकता है। कांग्रेस की भूमिका स्पष्ट न होने से मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बन रही है।



