
Prayagraj: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जनहित याचिका के माध्यम से अतिक्रमण की शिकायत करने वाले लोगों की सुरक्षा को गंभीर खतरा रहता है। कोर्ट ने कहा, अतिक्रमणकारी और कभी-कभी सरकारी अधिकारी भी याची पर शारीरिक हमला कर अथवा धमकी देकर उन्हें जनहित याचिका वापस लेने के लिए मजबूर करने का प्रयास करते हैं, इसे सख्ती से रोका जाना चाहिए। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने हाल ही में मीरजापुर के ग्राम पंचायत सेमरी कलांग टप्पा-उपरौध, तहसील-लालगंज में अतिक्रमण के संबंध में कमला कांत एडवोकेट की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। कोर्ट को बताया गया कि प्रतिवादी संख्या 7 से 12 क्रमशः उमाशंकर, नन्हें यादव,छेदी यादव,रामदेव यादव,श्रीपत यादव व लवकुश यादव द्वारा याची व उसके परिवार के सदस्यों को धमकाया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने विपक्षियों को नोटिस जारी कर निषेधाज्ञा जारी की है और एस पी मिर्जापुर व एस एच ओ लालगंज को कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया है और साफ कहा है कि निषेधाज्ञा का उल्लघंन हुआ तो इसकी जवाबदेही इन दोनों अधिकारियों की होगी।
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कोर्ट ने निषेधाज्ञा जारी की है कि विपक्षीगण सात लगायत 12 को याची पर किसी भी तरह से हमला करने, गाली देने या उसे परेशान करने,उसके परिसर में प्रवेश करने अथवा याची या उसके परिवार के किसी भी सदस्य के पांच मीटर के करीब आने प्रतिबंधित कर दिया है।कहा कि यह निषेधाज्ञा याचिकाकर्ता के परिवार के सभी सदस्यों पर भी लागू होगी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के माध्यम से जिलाधिकारी व एसपी, एसडीएम तथा थाना प्रभारी लालगंज और प्रतिवादी संख्या 7 से 12 को आदेश के संबंध में अवगत कराने के लिए कहा गया है। एस डी एम, लालगंज ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश की और बताया कि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ धारा 67के तहत अतिक्रमण के 19 मामले दर्ज किए गए हैं। कोर्ट ने उप जिला अधिकारी लालगंज से जवाब मांगा है और धारा 67की कार्यवाही की स्थिति की जानकारी के साथ जिलाधिकारी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। प्रकरण में अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।