
New Delhi. देश में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। सोमवार को शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर इस तरह के मामलों से संबंधित दर्ज एफआईआर का पूरा विवरण मांगा है।
समाचार एजेंसी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन साइबर अपराधों की अखिल भारतीय प्रकृति और व्यापकता को देखते हुए अदालत सभी मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने पर विचार कर रही है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह सीबीआई की जांच की प्रगति की निगरानी करेगी और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेगी।
ठोस योजना बनाना आवश्यक
अदालत ने सीबीआई से यह भी पूछा है कि क्या उसे पुलिस बल के बाहर के साइबर विशेषज्ञों सहित अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है, ताकि डिजिटल अरेस्ट जैसे जटिल मामलों की प्रभावी जांच की जा सके।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई मामलों में साइबर अपराध और डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं की जड़ें विदेशों से जुड़ी हुई हैं, इसलिए इन मामलों की जांच और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय के लिए ठोस योजना बनाना आवश्यक है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा साइबर अपराध है, जिसमें धोखेबाज खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों या नियामक अधिकारियों के रूप में पेश करते हैं। वे फोन कॉल या ऑनलाइन माध्यम से लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि वे किसी अवैध गतिविधि में शामिल हैं। इसके बाद डराने-धमकाने के जरिए उनसे पैसे ट्रांसफर कराने या व्यक्तिगत जानकारी हासिल करने की कोशिश की जाती है।
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इन घोटालों का उद्देश्य पीड़ित के मन में भय और भ्रम पैदा कर उसे वित्तीय जाल में फंसाना होता है। हाल के महीनों में देशभर में ऐसे मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है।



