
Dharmendra Death : बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और ‘ही-मैन’ के नाम से मशहूर धर्मेंद्र का सोमवार, 24 नवंबर को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के जुहू स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। पिछले कुछ समय से उनकी तबीयत लगातार नाजुक बनी हुई थी। 12 नवंबर को उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था और उसके बाद वे घर पर ही उपचार ले रहे थे।
मंगलवार को धर्मेंद्र का अंतिम संस्कार विले पार्ले स्थित पवन हंस श्मशान भूमि में किया गया, जहां उनके बड़े बेटे और अभिनेता सनी देओल ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान देओल परिवार के साथ-साथ बॉलीवुड के कई दिग्गज कलाकार भी मौजूद रहे। हेमा मालिनी, ईशा देओल, बॉबी देओल, अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, अनिल कपूर, सलमान खान, सलीम खान, आमिर खान और संजय दत्त सहित अनेकों सितारों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
धर्मेंद्र के निधन को भारतीय सिनेमा के एक युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है। दुखद संयोग यह है कि उनके निधन वाले दिन ही उनकी आगामी फिल्म ‘इक्कीस’ का मोशन पोस्टर रिलीज हुआ। हाल के दिनों में उन्हें सांस लेने में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां स्थिति बिगड़ने पर उन्हें ICU में रखा गया। अंततः उम्र और बीमारी के सामने यह सिनेमा का योद्धा हार गया।
8 दिसंबर को मनाने वाले थे 90वां जन्मदिन
धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के नसराली गांव में हुआ था। उनका असली नाम केवल कृष्ण देओल था। वह एक पंजाबी जाट परिवार से ताल्लुक रखते थे और उनका बचपन साहनेवाल गांव में बीता, जहां उनके पिता स्कूल के प्रिंसिपल थे।
व्यक्तिगत जीवन: दो शादियां, छह बच्चे
19 साल की उम्र में धर्मेंद्र ने प्रकाश कौर से शादी की, जिनसे उन्हें दो बेटे सनी और बॉबी देओल और दो बेटियां विजेता और अजीता हैं। फिल्मों में आने के बाद उन्होंने हेमा मालिनी से शादी की, जिससे उन्हें दो बेटियां, ईशा और अहाना देओल हुईं। यह शादी लंबे समय तक विवादों में भी रही।
फिल्मी सफर: 300 से ज्यादा फिल्में, हिंदी सिनेमा का ही-मैन
1960 में ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से डेब्यू करने वाले धर्मेंद्र ने शुरुआती पहचान ‘आई मिलन की बेला’, ‘फूल और पत्थर’ और ‘आए दिन बहार के’ जैसी फिल्मों से हासिल की। 1966 की फिल्म ‘फूल और पत्थर’ ने उन्हें स्टारडम की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
‘शोले’, ‘यादों की बारात’, ‘धरम वीर’, ‘प्रतिज्ञा’, ‘गुलामी’, ‘नया जमाना’, ‘चुपके चुपके’, ‘द बर्निंग ट्रेन’, ‘राजा जानी’, ‘मेरा गांव मेरा देश’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों ने उन्हें बॉलीवुड का अमिट चेहरा बना दिया।
उन्होंने छह दशक में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और रिकॉर्ड बनाया कि एक ही वर्ष (1987) में सात लगातार हिट फिल्में दीं।
आखिरी वर्षों में भी एक्टिव
उम्र बढ़ने के बावजूद धर्मेंद्र ने ‘लाइफ इन ए… मेट्रो’, ‘अपने’, ‘जॉनी गद्दार’, ‘यमला पगला दीवाना’, ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ और ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ जैसी फिल्मों में दमदार उपस्थिति दर्ज कराई।
सम्मान और उपलब्धियां
2012 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2017 में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर नोबेल अवॉर्ड और 2020 में न्यू जर्सी राज्य का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिला।
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धर्मेंद्र भले ही आज इस दुनिया में न हों, लेकिन उनकी अदाकारियां, उनका अंदाज़ और उनकी यादें हमेशा भारतीय सिनेमा के इतिहास में जीवित रहेंगी।



