‘दर्शक नहीं, राष्ट्र के रक्षक बनें’, कर्नल सोफिया कुरैशी ने Gen Z से कही बात

कर्नल सोफिया कुरैशी ने चाणक्य डिफेंस डायलॉग में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा हर युवा की जिम्मेदारी है। युद्ध अब तकनीक और विचारों से लड़े जा रहे हैं।

New Delhi . भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने चाणक्य डिफेंस डायलॉग में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सैनिकों का दायित्व नहीं, बल्कि हर नागरिक, विशेषकर नई पीढ़ी की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब युद्ध का स्वरूप बदल रहा है – यह केवल सीमाओं पर लड़ी जाने वाली लड़ाई नहीं रही, बल्कि साइबर, ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक तकनीक के माध्यम से लड़ी जाने वाली एक नई युद्धकला का दौर शुरू हो चुका है।

कर्नल कुरैशी ने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में युवा राष्ट्रीय सुरक्षा की रीढ़ हैं। उन्होंने बताया कि युवा केवल सैनिक बनकर नहीं, बल्कि प्रौद्योगिकी, अनुसंधान, नीति-निर्माण और कूटनीति के क्षेत्र में भी देश की रक्षा को मजबूत बना सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया भर में शांति स्थापना और संघर्ष प्रबंधन में युवाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है, और भारत को इस दिशा में अग्रणी बनना चाहिए।

ऑपरेशन सिंदूर’ का उदाहरण दिया

कर्नल कुरैशी ने अपने संबोधन में हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उदाहरण देते हुए कहा कि यह अभियान आधुनिक युद्धकला का प्रतीक बन गया है, जहाँ सटीकता, प्रौद्योगिकी और बहुआयामी रणनीति ने सफलता सुनिश्चित की। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का युद्ध बंदूकों से नहीं, बल्कि विचारों, नवाचार और तकनीकी कौशल से लड़ा जाएगा।

उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे दर्शक नहीं, बल्कि रक्षक बनें। उनके अनुसार भारत की लगभग 65 फीसदी आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है, जो आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक और सामरिक दोनों शक्ति तय करेगी। उन्होंने कहा कि हर युवा देश की पहली रक्षा पंक्ति है।

नए मोर्चे अब वही देश जीत पाएंगे, जिनके युवा तकनीकी रूप सक्षम

कर्नल कुरैशी ने कहा कि आज सुरक्षा की परिभाषा केवल सैन्य सीमाओं तक सीमित नहीं रही। उन्होंने कहा कि सुरक्षा अब बंदूक की नहीं, बुद्धि की शक्ति पर निर्भर है। साइबर सुरक्षा, ड्रोन मिशन, डेटा प्रोटेक्शन और सूचना अभियानों जैसे नए मोर्चे अब वही देश जीत पाएंगे, जिनके युवा तकनीकी रूप से सक्षम और रणनीतिक रूप से सजग हों।

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उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं में असीम ऊर्जा है, जिसे यदि सही दिशा दी जाए तो यह सिर्फ विकास नहीं, बल्कि सामरिक संपदा में तब्दील हो सकती है। कर्नल कुरैशी के शब्दों में, राष्ट्रीय सुरक्षा का भविष्य हथियारों से नहीं, बल्कि विचारों से लिखा जाएगा।

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