
Bhopal News. भारत की चीता पुनरुत्पादन परियोजना ने एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है। मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में भारत में जन्मी पहली मादा चीता ‘मुखी’ ने पाँच शावकों को जन्म देकर वन्यजीव संरक्षण की दिशा में नया अध्याय रचा है। यह पहली बार है जब भारत में जन्मे किसी चीते ने सफलतापूर्वक प्रजनन किया है, जो इस प्रजाति की भारतीय पर्यावरण में सफल अनुकूलन क्षमता को दर्शाता है।
33 महीने की मुखी का जन्म ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत नामीबिया से लाई गई एक मादा चीता से हुआ था। विशेषज्ञों के अनुसार यह घटना बताती है कि भारत में चीता पुनर्वास का प्रयास अब प्राकृतिक प्रजनन की ओर बढ़ रहा है, जो दीर्घकालिक संरक्षण के लिए आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव : “ऐतिहासिक उपलब्धि”
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस घटना को भारत के वन्यजीव संरक्षण के लिए “ऐतिहासिक उपलब्धि” करार दिया।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत में जन्मी चीता मुखी द्वारा पाँच शावकों का जन्म देना इस बात का प्रमाण है कि यह प्रजाति भारतीय आवासों में स्वस्थ रूप से अनुकूलित हो रही है।
यादव ने बताया कि माँ और सभी शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं और यह विकास भारत में एक आत्मनिर्भर और आनुवंशिक रूप से विविध चीता आबादी के निर्माण की दिशा में मजबूत कदम है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा – ‘अभूतपूर्व सफलता’
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी इस उपलब्धि को वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण क्षण बताया। उन्होंने कहा कि मुखी और उसके सभी बच्चे स्वस्थ हैं, और यह सफलता साबित करती है कि प्रोजेक्ट चीता सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। सीएम यादव ने इसे भारत की संरक्षण रणनीति में एक “अभूतपूर्व उपलब्धि” बताया।
चीता प्रोजेक्ट में नया आत्मविश्वास
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में जन्मे चीते का सफल प्रजनन इस प्रजाति की उपयुक्तता, स्वास्थ्य और दीर्घकालिक स्थिरता का बड़ा संकेत है। यह उपलब्धि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में भविष्य में स्थायी और genetically diverse चीता आबादी विकसित करने की उम्मीद को और मजबूत बनाती है।



