
नई दिल्ली। भीम आर्मी प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा कानूनी झटका लगा है। हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 के सहारनपुर दंगों से जुड़े मामलों में उनके खिलाफ दर्ज चार एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
चंद्रशेखर आजाद ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 528 के तहत हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चारों एफआईआर और उनसे संबंधित आपराधिक कार्यवाही को निरस्त करने की मांग की थी। उनका तर्क था कि एक ही दिन और एक ही घटना से जुड़ी होने के कारण एक से अधिक एफआईआर दर्ज करना कानून के विरुद्ध है।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में दलील दी कि 9 मई 2017 को दर्ज सभी एफआईआर एक ही भीड़ द्वारा की गई घटनाओं से संबंधित हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के टीटी एंटनी बनाम केरल सरकार और बाबूभाई बनाम गुजरात सरकार के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि समान तथ्यों पर दूसरी एफआईआर दर्ज करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
हालांकि, मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस समीर जैन ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि अपराध अलग-अलग स्थानों पर और अलग-अलग समय पर किए गए हों, तो केवल इस आधार पर एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती कि सभी घटनाएं एक ही दिन हुई थीं।
साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता
हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में भीम आर्मी से जुड़ी भीड़ ने कई घंटों तक अलग-अलग स्थानों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया। ऐसे में सभी घटनाओं को एक ही अपराध नहीं माना जा सकता।
अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि चंद्रशेखर आजाद एक सांसद हैं और आरोप उनकी पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं पर हैं। अपर महाधिवक्ता की दलीलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले में किसी बड़ी साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत में कहा कि सभी एफआईआर अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा दर्ज कराई गई थीं और घटनाएं अलग-अलग स्थानों पर हुई थीं। उन्होंने तर्क दिया कि यदि कोई भीड़ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर नए अपराध करती है और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाती है, तो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की जा सकती हैं।
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हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भले ही घटनाओं की तारीख एक हो, लेकिन स्थान और समय अलग होने के कारण चारों एफआईआर को वैध माना जाएगा। इसके साथ ही अदालत ने चंद्रशेखर आजाद की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।



